Priyanka Gupta

Romance Others

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Priyanka Gupta

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हनीमून

हनीमून

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335


"अम्बर, देखो बेचारी समुद्र यात्रा का लुत्फ़ भी नहीं ले पा रही। इसके शौहर तो आराम से शिप के डेक पर घूमने चले गए। यहाँ इन्हें छोड़ गए। बेटे को भी इन्हीं के पास छोड़ गए।" मैंने अपने पति से फुसफुसाते हुए कहा।

मैं धरा, जिसकी हाल ही में अम्बर से शादी हुई थी। हम दोनों की लव मैरिज बड़ी मुसीबतों और मिन्नतों के बाद अरेंज हुई थी। एक बार तो हमें लगा था कि धरती और आसमान के जैसे ही हमें भी दूर -दूर रहकर ही अपनी ज़िन्दगी बितानी पड़ेगी। अम्बर भी धरा की याद में आंसुओं की बारिश से धरा का आँचल ही भिगोता रह जाएगा। लेकिन हमारी किस्मत में तो क्षितिज था, जहाँ धरती आख़िरकार आसमान से मिल ही जाती है। हम शादी के बाद अपने हनीमून पर लक्षद्वीप जा रहे थे।

अरब सागर की क़्वीन कोचीन से उनकी शिप लक्षद्वीप के लिए रवाना हुई थी। अरबसागर के बीचोंबीच स्थित लक्षद्वीप ३६ द्वीपों का एक समूह है, जिसे अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए धरती पर स्वर्ग भी कहा जा सकता है। कहना क्या, स्वर्ग ही है। हम दोनों प्यार के पंछी भी लक्षद्वीप के क़दामात द्वीप पर ही जा रहे थे।


हमारी सामने वाली सीट पर एक मुस्लिम परिवार आकर बैठा था। परिवार की महिला ने बुर्का पहना हुआ था और वह आने के बाद अपनी सीट पर ही बैठी हुई थी। उनके शौहर आराम से पूरे शिप पर घूम रहे थे, जबकि उनकी बेग़म अपनी सीट पर बर्फ की तरह जम गयी थी। मैं और अम्बर भी पूरे शिप पर घूमकर अपनी समुद्री यात्रा का लुत्फ ले रहे थे। शिप के डेक से जहाँ तक भी नज़र डालो, वहाँ बस पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। 

क्षितिज पर आसमान और धरती मिलते हुए दिखाई देते हैं। सूर्यास्त का समय तो अद्भुत होता है। सूर्यास्त देखते हुए मैंने अम्बर से कहा ,"देखो अम्बर, आसमान ने धरती को आज अपने प्यार के रंग में रंग लिया। धरती आज आसमान के प्यार में सिन्दूरी हो गयी, मैंने भी तो तुम्हारे नाम का सिन्दूर आखिरकार भर ही लिया। "

अम्बर ने मुझे अपनी बाँहों में भरकर, मेरे माथे पर अपना प्यार अंकित कर दिया था। लगभग 15 -18 घंटे की समुद्री यात्रा के बाद हम दोनों अपने सपनों के द्वीप क़दामात द्वीप पहुँच गए थे। यह द्वीप 500 मीटर के करीब चौड़ा और लगभग ११ किलोमीटर लम्बा था। अगर द्वीप बीचोंबीच खड़े हों तो दोनों तरफ समंदर की लहरें अठखेलियाँ करते हुए दिखाई दें।

क़दामत द्वीप शांति और सुकून की चाह रखने वालों के लिए स्वर्ग है। इस द्वीप पर सरकार ने कुछ कॉटेज बना रखे हैं। जितने कॉटेज हैं ,उतने ही लोग आकर रह सकते हैं। यहाँ आने के लिए पहले से बुकिंग करवानी होती है। सीमित लोगों की आवाजाही के कारण द्वीप की खूबसूरती बनी रहती है। यह एक ऐसा पर्यटक स्थल है, जहाँ आप चाहकर भी पैसे खर्च नहीं कर सकते। यहाँ पर कोई कमर्शियल दुकानें हैं ही नहीं। आपके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था सरकार के कॉटेज में ही होती है।

सबसे मज़ेदार बात यहाँ बीएसएनएल के अलावा कोई और फ़ोन का नेटवर्क भी नहीं चलता। यहाँ आपको डिस्टर्ब करने के लिए न टी वी है और न ही फ़ोन। तो यहाँ आप अपना पूरा समय अपनी बीवी को दे सकते हैं। 

हमारे साथ एक और युगल वहाँ हनीमून पर था, जिसका एक सूत्री कार्यक्रम इस टूर पर खर्च किये गए एक -एक पैसे को वसूलना था। वसूलने के लिए चीज़ों की बर्बादी करने से भी उन्हें कोई गुरेज़ नहीं था। मैंने उन्हें शिप पर डिनर के दौरान प्लेट में आवश्यकता से अधिक खाना लेते हुए और फिर उसे कूड़ेदान में डालते हुए देखा था। ऐसे लोग मेरी नज़र में मानवता के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं।

मैं अपने आपको बहुत बड़ी आब्जर्वर मानती हूँ और हर जगह लोगों को ऑब्ज़र्व करती रहती हूँ। मैं उस मुस्लिम महिला के लिए सोच -सोचकर भी बड़ी परेशान थी। इन महिलाओं ग़ुलामी तक नहीं है। अब बुरका पहनकर कोई घुमक्क्ड़ी का आनंद कैसे ले सकता है। शिप से उतरने के बाद सभी लोगों को उनके कॉटेज में छोड़ दिया गया था। सभी लोग फ्रेश होने के बाद इधर -उधर टहलने लग गए थे। मुझे वह मुस्लिम परिवार फिर दिखा ,लेकिन अब महिला ने बुरका नहीं पहना हुआ था और पूरा परिवार समंदर के किनारे टहल रहा था। बीच -बीच में शौहर कभी -कभी अपनी बीवी पर पानी के छींटे डाल रहे थे। उनकी चुहलबाज़ी का आनंद बेटा भी ले रहा था और उनकी हँसी की आवाज़ चहूँ ओर गुंजायमान थी।

४-५ दिन साथ रहते -रहते मेरी शबनम से थोड़ी बातचीत होने लगी थी। उस मुस्लिम महिला ने अपना यही नाम बताया था। शबनम को सी सिकनेस की समस्या थी, कारण वह शिप में यात्रा के दौरान केबिन से बाहर नहीं निकली थी। उसके शौहर काफी सुलझे हुए और संवेदनशील थे। वे लोग हर साल छुट्टियों पर कहीं न कहीं जाते हैं। दोस्तों के बीच में वह युगल यायावर के नाम से जाना जाता है। यह सब मुझे शबनम ने बताया था।

इस युगल से मिलकर मुझे और अम्बर को बड़ा ही अच्छा लगा था। दूसरी और पैसे वसूलने में लगा युगल अपने कमरे का एयर कंडीशनर स्विच ऑन छोड़ देता था और पानी का नल भी खुला छोड़ देता था। पानी और बिजली बेतहाशा व्यर्थ कर रहा था। लक्षद्वीप के लिए दोनों ही चीज़ें बड़ी अनमोल थी। बिजली जनरेटर से पैदा होती थी, पीने का पानी ज्यादातर बाहर से ही मंगाया जाता था। बारिश के पानी से वहां के लोगों की ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाती। लेकिन उस युगल को इन सबसे कोई मतलब नहीं था। कुछ लोग अपने स्वार्थ के सामने दूसरों को पूरी तरीके से भुला जो देते हैं।

खैर दुनिया रंग -बिरंगी है, हमें अलग -अलग लोगों से मिलने और उन्हें जानने का अवसर मिलता है। लक्षद्वीप पर कुछ भी सामान न मिलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह क़दामात द्वीप एकदम साफ़-सुथरा है। प्लास्टिक कचरे से मुक्त है। पानी इतना साफ़ है कि खुली आँखों से समुद्री जीवन देख सकते हैं। रंग बिरंगे कोरल और समुद्री जलजीव किसी भी प्रकृति प्रेमी का मन मोह लें।

स्नोर्कलिंग करते हुए ऐसा महसूस हुआ, जैसे मान लो मैं खुद भी एक जलपरी बन गयी हूँ ऊपर से एकदम शांत और सादगीपूर्ण दिखाई देने वाला समंदर ,पानी के नीचे बहुत ही रंग -बिरंगा है. समंदर के नीचे की दुनिया इंद्रधनुष के रंगों से भी अधिक रंगीन है .

हम कम संसाधनों में भी सुकून स रह सकते हैं, लक्षद्वीप आकर यह प्रमाणित हो गया था । यहाँ कोई एक फिल्म स्टार भी छुट्टी पर अपनी पत्नी क साथ आया हुआ था, ऐसा वहाँ काम करने वाले लोगों न बताया । मलयाली सिनेमा देखने वाले वहाँ के लोग हिंदी फिल्मों के कलाकार को नहीं जानते थे। यहाँ पर उसे कोई विशेष सुविधाएँ भी नहीं थी। वह कलाकार शायद अपने लाव-लश्कर को भी नहीं ला सका था सभी को समान मानने की यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी थी। 

मैंने और अम्बर ने निर्णय लिया कि इस जगह पर हम अपने बच्चों के साथ दोबारा आएंगे। अतरंगी लोगों की यादों और क़दामात की खूबसूरती को दिल में लिए हम दोनों अपने जीवन के अगले पड़ाव के लिए तैयार हो गए थे।



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