होनी तो होकर रहेगा
होनी तो होकर रहेगा
एक समय की बात एक बार चिलचिलाती धूप में एक बाईक वाला सर पे हेलमेट लगाए हुए कहीं से यात्रा कर रहा था। उसके साथ यही भाव था कि सफर में धूप तो बहुत होगी मगर चल सको तो चलो ! बढ़ सको तो बढ़ो।
इतने में वह कुछ देर बाद रास्ते के किनारे कुछ देर सुस्ताने और ठंडी छाँव में कुछ देर आराम करने के भाव से उतरा और अपने हेलमेट निकालकर अभी - अभी हेलमेट निकाला था कि ऊपर आकाश में चील एक साँप को अपने पंजों में पकड़कर ले जा रही थी वो उसके पंजों से छूट गई और इसके माथे पर जा गिरी और उसने आत्मरक्षा के भाव से उसे डँस लिया। साँप जहरीला था कुछ देर बाद ही बेचारा बाईकवाला दम तोड़ दिया।
अब आप इसे क्या समझेंगे संयोग, होनी या अनहोनी या उस बेचारे बाईक सवार का दुर्भाग्य??