क्या मेरी पहचान है....
क्या मेरी पहचान है....
आज तक ना जान पाई
क्या मेरी पहचान है
जान सबकी जान है
फिर प्राणी क्यूँ अनजान है
सबकी खातिर आज भी
मेरी खुशी कुर्बान है
जिसने जब चाहा
ढाला मुझे उस ओर है
जिंदगी भले मेरी हो
पर मेरा कुछ ना जोर है l
पापा की इज्जत बनी
साहस बनी मैं भाई का
बहना को प्यार दिया मैंने
बस बनी दुलार मेरी माई का l
कर दिया बिदा मुझे
कह के तू पराई है
ससुराल में ताने सुने
तू पराये घर से आई है l
जानना बस चाहूँ इतना,
है, मेरे त्याग का मोल कहाँ
या कहूँ अपने बारे में
मैं लड़की हूं
बस यही मेरी पहचान है l