Suresh Sachan Patel

Abstract Children Stories Inspirational

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Suresh Sachan Patel

Abstract Children Stories Inspirational

क्या वह चोर था

क्या वह चोर था

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भीड़ बेतहाशा एक 13 साल के बच्चे को पीटे जा रही थी,छोटा सा बच्चा मार खा खा कर बेसुध हुआ जा रहा था।अपनी लड़खड़ाती आवाज से वह कहता जा रहा था, मैं चोर नहीं हूॅ॑, मैं चोर नहीं हूॅ॑,पर बच्चे की आवाज को कोई नहीं सुन रहा था,आखिर क्यों उसकी बात को कोई सुने,सभी चोर ऐसा ही तो कहते हैं, मैं चोर नहीं हूॅ॑।चारो ओर बस एक ही आवाज अा रही थी, चोर है साला मारो इसे,और लोग अपनी अपनी बहादुरी एक छोटे से बच्चे पर दिखा रहे थे,शायद आज सभी लोग अपने हाथों और लातों की ताकत को आजमा लेना चाहते थे,किसी को उस छोटे बच्चे पर कोई तरस नहीं अा रहा था।

 अब बच्चा आखिर कितनी मार झेलता,वह अब लगभग बेहोशी की हालत में पहुॅ॑च चुका था।लोग अब भी अपनी ताकत को उस बच्चे पर आजमाए जा रहे थे।अनायास ही न जाने कहाॅ॑ से सौभाग्य बस एक बुजुर्ग व्यक्ति का आगमन हो गया।भीड़ देख कर उत्सुकता बस वह लोगों से पूछने लगे, यहाॅ॑ क्या हो रहा है,पास खड़े लड़के ने कहा एक लड़का दुकान से बिस्कुट का पैकेट चोरी करके भाग रहा था ,लोग उसी को पकड़ कर पीट रहे हैं।

 अब बुजुर्ग व्यक्ति का धैर्य जवाब दे चुका था ,वह भीड़ को चीरते हुए,धक्का मुक्की करते हुए किसी तरह आखिर कार उस बच्चे के पास तक पहुॅ॑च ही गए,और चिल्ला कर बोले "छोड़ दो बच्चे को क्यो मार रहे हो"।लोग बोले; ये बच्चा नहीं चोर है।"रुक जाओ नालायको, बच्चा कभी चोर नहीं होता,हो सकता है कोई मजबूरी हो,इसलिए बिस्कुट चुराया हो,किसी ने बच्चे से पूछा क्यो बिस्कुट चुराया है,और कितने बिस्कुट चुराए है",किसी ने बोला ज्यादा नहीं बस एक पैकेट।"नालायको, कभी कोई चोर एक पैकेट बिस्कुट चुराता है"।लेकिन बाबा इसने चुराया है।"ये बच्चा है रही होगी मजबूरी कोई इसकी ,हो सकता है बहुत गरीब हो और खरीदनें के लिए पैसे न हों,और खाने का दिल कर रहा होगा तो ले लिया होगा। एक बिस्कुट के लिए आप सब मिल कर इस बच्चे को इस तरह मारोगे ,किसी को शर्म और दया नहीं आयी" ।

आखिर कार किसी तरह वह बुजुर्ग व्यक्ति बच्चे को भीड़ से उठा कर पास के ढा़बे पर ले जाकर एक चारपाई पर लिटाया,बच्चा अभी अर्ध बेहोशी में ही था,अब भी कुछ लोग बच्चे के आसपास खड़े थे और उस वृद्ध व्यक्ति को एक प्रश्न वाचक दृष्टि से देख रहे थे और सभी अपने अपने दिमाग से सोच रहे थे कि आखिर ये बच्चा इस बूढ़े का क्या लगता है,किसी ने हिम्मत करके आखिर ये सवाल बूढ़े पर दाग ही दिया,बाबा ये बच्चा आपका क्या लगता है।

ये सुनते ही बाबा की आॅ॑खे दबदबा आयीं,रुंधे गले से बड़ी ही नम्रता और दयालुता पूर्वक कहा, "बेटा ये बच्चा मेरा कुछ नहीं लगता, लेकिन बेटा मैंने भी गरीबी देखी है,मै भी भूख से तड़पा हूॅ॑,आप लोगों को क्या मालूम भूख कैसी होती है,भूख क्या होती है ,उस गरीब माॅ॑ से पूछो,जिसके बच्चे गरीबी के कारण भूख से तड़प कर उसके सामने ही दम तोड़ रहे हों,और एक लाचार माॅ॑ को बेबसी में ये सब देखना पड़ा हो,"।बाबा की बातें सुन कर,सभी के चेहरे पर कुछ दयालुता के भाव उभर आए थे और भीड़ के बीच से कुछ आवाजें भी आयीं थी, कि आप सही कह रहे हो बाबा,हम लोगों से बहुत बड़ी गलती हो गई पहले हमें इस बच्चे के बारे में सारी जानकारी कर लेना चाहिए था।

अब तक बच्चा बाबा की सहानुभूति पा कर कुछ सामान्य हो चुका था,शायद अब उसे लगने लगा था कि शायद अब उसके साथ कोई मार पीट नहीं करेगा। बाबा ने बच्चे से कहा,बेटा तुम्हारा घर कहा है ,बच्चे ने अपनी धीमी और कुछ डरी हुई आवाज में बोला "यहीं पास में झुग्गी है उसी में मैं और मेरी माॅ॑ रहती है। माॅ॑ बीमार है और झुग्गी में ही लेटी हुई है।आप लोग चल कर देख सकते हैं"।

 बच्चा अब आगे आगे चल रहा था,और बहुत सारी भीड़ उसके पीछे चल रही थी,आज तो ऐसा लग रहा था जैसे ये बच्चा कोई बहुत बड़ा नेता है जिसे लोग अनुशरण कर रहे हैं।

  सड़क के किनारे से ही कुछ सफेद पोश और कुछ काले लिवास वाले लोगों की बड़ी बड़ी वातानुकूलित कोठियाॅ॑ नजर आ रही थीं।बहुत सी इमारतों में वातानुकूल कमरों की खिड़कियों से झाॅ॑कते हुए श्वान भी नजर आ रहे थे,जो भीड़ को देख कर खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए भौंक रहे थे। इन्हीं ऊॅ॑ची अट्टालिकाओं वाले घरों से निकलने वाले गंदे पानी के नाले के किनारे ही एक समतल भूमि पर दो चार घास फूस की झुग्गियां बनी हुई थी,एक दो झुग्गियों से बच्चों के आपस में खेलने की आवाज़ें अा रही थीं।

 बच्चे ने हाथ के इशारे से अपनी झोपड़ी को बताया,झोपड़ी के अंदर एक कृश काय नारी काया कुछ चीथड़े कपड़ों के बिस्तर पर पड़ा हुआ कराह रहा था।शायद उसे बुखार की वजह से शारीरिक पीड़ा हो रही थी,बिना दवा और भोजन के शरीर अति जीर्ण हो गया था,बच्चा दौड़ कर अपनी माॅ॑ के सिर के पास बैठ गया,और अपने नन्हे हाथों से माॅ॑ का सिर सहलाने लगा,माॅ॑ ने अपनी कराहती हुई और बेबस वाणी में बच्चे से पूछा,बेटा कुछ खाया या नहीं,इतना सुनते ही बच्चे की आॅ॑खे भर आयीं, बच्चा एक टक दरवाजे की तरफ देखने लगा,बच्चे का एक टक दरवाजे की तरफ देखना माॅ॑ के मन में कुछ शंका पैदा कर रही थी,माॅ॑ ने किसी तरह कोशिश करके अपनी गर्दन दरवाजे की तरफ घुमाई,उसे बाहर लोगों का हुजूम दिखाई दिया।अचानक ही माॅ॑ के दिल की धड़कने बढ़ गई,अपने घबराहट भरे स्वर में बच्चे से पूछा ,बेटा ये लोग कौन है,यहाॅ॑ किस लिए आए हैं।

बच्चा बहुत ही नम्रता और करूण भाव से बोला," माॅ॑ ये वो लोग हैं,जो कभी भूख में तड़पे नहीं है,अभाव और तंगी की ज़िंदगी नहीं जी है,कभी घास फूस की झोपड़ी में सर्दी और बरसात नहीं गुजारी है,इन्होंने कभी कोई चोरी नहीं की है,माॅ॑ ये सब लोग बहुत ही शरीफ लोग हैं माॅ॑,ये सभी तेरा हाल चाल जानने आए हैं माॅ॑"।

माॅ॑ बेटे की ऐसी हालत देख कर और बच्चे की बातों को सुन कर सभी के चेहरे पर शर्मिंदगी साफ झलक रही थी।तभी बूढ़े ने भीड़ की ओर इशारा करके पूछा, "अगर ऐसे ही हालात आप में से किसी के हों, तो आप लोग क्या करोगे"।बूढ़े की बात सुन कर सभी के चेहरे झुक गए।बूढ़े बाबा ने फिर कहना शुरू किया,"इनकी ऐसी हालत के जिम्मेदार कौन है,क्यो एक तरफ ऊॅ॑ची ऊॅ॑ची अट्टालिकाएँ हैं और दूसरी तरफ घास फूस की झोपड़ी में विकृत होता मासूम बचपन,शायद कहीं कोई समाज में कमी तो है,अमीर और गरीब के बीच शायद बहुत गहरी खाई है आज समाज की संवेदन हीनता के कारण ही आज एक मासूम को चोरी करने पर मजबूर होना पड़ा"।

झोपड़ी के बाहर अभी भी काफी भीड़ मूक दर्शन बनी खड़ी थी,तभी बूढ़ा व्यक्ति झोपड़ी से बाहर निकल कर भीड़ से मुखातिब हो कर बोला "क्या अब भी आप लोग इस बच्चे को चोर समझते हो" बच्चे को पीटने वाले सभी के चेहरे लटके हुए थे,शायद अब उन्हें अपने अमानवीय कृत्य पर अफसोस हो रहा था। तभी बूढ़े व्यक्ति की आवाज गूंजी "अगर हम सभी लोग इन गरीबों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएॅ॑, तो शायद किसी मासूम को इस तरह लाचार होकर चोरी करने की नौबत ना पड़े"।

बाबा की बात सुन कर सभी एक स्वर में बोले हाॅ॑, हम मदद करेंगे।बाबा ने सभी का आभार व्यक्त किया ।आज मासूम भोला झोपड़ी की जगह पक्के मकान में अपनी माॅ॑ के साथ रह रहा है।अब तो भोला लोगों की सलाह से स्कूल भी जाने लगा है, एक समझदार व्यक्ति के कारण भोला अब एक अच्छी ज़िंदगी की लम्बी उड़ान के लिए चल पड़ा था।


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