sushant mukhi

Horror

3.8  

sushant mukhi

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लिफ्ट

लिफ्ट

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कसाडी घाट , मुम्बई नाशिक हाइवे ।

हाइवे मलतब वो चौड़ी और लंबी सड़क जो दो शहरों को लंबी दूरी तय कर एक दूसरे से जोड़ती है । हाईवेज़ पे दिन के वक़्त तो फिर भी कुछ गाड़िया चलती दिखती है मगर रात होते ही लोगो का आना जाना लगभग रुक ही जाता है । इन हाईवेज़ पर कई सारी किस्से कहानियां होती हैं जो हमेशा के लिए वही रह जाती हैं लेकिन जब भी कोई उन हाइवे से देर रात गुजरता है तो अक्सर उस कहानी से रुबरु होना पड़ता है ।

.

रात के लगभग 8 बजे हैं हाइवे एक दम सुनसान है । इस सुनसान और खामोशी भरी अंधेरी रात में सड़क पर एक लड़की सफेद कपड़े में खड़ी है और हाथ दिखा कर लिफ्ट मांग रही है । वंहा से गुजरने वाली एक भी गाड़ी नहीं रुक रही बल्कि उस लड़की के पास से एक दम तेज़ी से गजर रही है ।

" शिट,, यार..!! ये गाड़ी भी अचानक पता नहीं कैसे बन्द पड़ गयी!!! इतनी रात में कैसे क्या करूँ?

कम्भख्त नेटवर्क भी गायब है!!! डेम्म्म्म यरररर!! " प्रिया ने अपनेआप से कहा ।

इतने में एक कार आख़िर में वंहा रुकी । प्रिया उस कार के ड्राइविंग सीट की तरफ आई और खिडकी पर झुकते हुए बोली " मेरी कार अचानक बिगड़ गयी है क्या आप लोग मुझे आगे तक लिफ्ट दे देंगे " ।

उस कार में दो सवारी बैठे थे । एक आदमी जो ड्राइव कर रहा था और एक औरत जो उसके बगल में बैठी थी ।उन्होंने प्रिया को पीछे बैठ जाने के लिए कहा ।रास्ते मे प्रिया ने बात शुरू की ।

"आप दोनों का बेहद शुक्रिया जो मुझे देख कर कार रोक लिया और मुझे लिफ्ट देने के लिए राजी हो गए । मैं पिछले 1 घण्टे से वंहा खड़ी मदद मांग रही थी मगर कोई नहीं रुका । 1-2 कार गुजरी मगर किसी ने भी मुझे लिफ्ट देने के लिए अपनी कार नहीं रोका । अच्छा हुआ आप ने कार रोक दिया वरना शायद आज रात इसी हाइवे में गजारना पड़ता ।

दरसअल हाइवे में कोई किसी को लिफ्ट नहीं देता है । खास कर तब जब कोई सफेद पोशाक में हो । लोग भूत समझ लेते है ।" प्रिया ने हंसते हुए कहा ।

उसने एक सफेद रंग का टीशर्ट और उसपर एक सफेद रंग का जैकेट पहन रखा था ।

" हम देते हैं लिफ्ट.. वैसे भी भूत केवल सफेद कपड़ो में ही रहते है ये किसने कहा ? मैं नहीं मानती । भूत कंही भी हो सकता है कोई भी हो सकता है । " आगे बैठी महिला अपनी कार के फ्रंट मिरर में से प्रिया को देखते हुए बोली  ।।

प्रिया की मुश्कान थोड़ी सी सिमट गई ।

"मेरा मतलब है हम सब मे एक भूत है" ... वो महिला हंसते हुए बोली ।प्रिया को थोड़ा ठीक लगा ।


ओ बाई दवे , मेरा नाम प्रिया है मैं ****** की रहने वाली हूँ ।

" प्रिया .. अच्छा नाम है । बहुत पहले एक गर्ल फ्रेंड थी मेरी इसी नाम की । " ड्राइविंग सीट पे बैठे आदमी ने मुश्कुराते हुए कहा ।

"इसकी बात पर ज्यादा ध्यान मत देना,, ये बहुत मज़ाकिया है ।। मेरा नाम कल्याणी है और ये मेरे पति कमलेश है ।" उस महिला ने भी अपना तारूफ करा ।

हाय..

हेलो..

जुबान से एक दूसरे को हाय हेलो किया ।

"प्रिया आप इस वक़्त कंही से आ रही हो या कंही जा रही हो ? " कल्याणी ने पूछा ।

" मैं एक पार्टी में गयी थी और बस वंही से लौट रही हूं।" प्रिया ने जबाब दिया ।

ओह.. आप पार्टी एनिमल हो ?

"हां .. मुझे पार्टी करना पार्टी में जाना अच्छा लगता है ।" प्रिया न सर हिलाते हुए कहा ।

हम भी एनिमल है.. कमलेश ने कहा ।

इस पर कल्याणी ने कहा,"इनका मतलब पार्टी एनिमल्स.. हम लोग भी पार्टी एन्जॉय करते है.. काफी । इनफैक्ट हम भी पार्टी से ही लौट रहे है ।।"

"वैसे आप करती क्या है ?"

कमलेश ने सीसे पर देखते हुए पूछा ।

"मैं फिलहाल फैशन desgining में हूँ लेकिन मुझे मॉडलिंग भी करनी है लाइफ में ।" प्रिया ने जवाब दिया ।

"आप को देखते ही मुझे अंदाज़ा हो गया था कि जरूर आप कोई एक्ट्रेस या मॉडल हो । इसीलिए मेरी गाड़ी खुद ब खुद रुक गयी आपको लिफ्ट देने के लिए । यु आर ब्यूटीफुल ।" कमलेश ने छेड़ते हुए कहा ।

"ओ कमलेश अब बस भी करो.. कंही भी शुरू हो जाते हो । अपनी बीवी के साथ बैठे हो और दूसरों की तारीफ करते हो ... मैने बताया न प्रिया मेरे ये थोड़े से मस्ती खोर है ।" कल्याणी ने कहा ।

सॉरी डिअर.. सॉरी.. कमलेश ने कल्याणी को प्यार से कहा ।

सिर्फ तुम्हारी ही तारीफ करूँगा.. ।

तीनो हंस पड़ते है ।

आप लोगो की लव मैरिज है ? प्रिया ने दोनों पूछा ।

"यस .. हमारी लव मैरिज हुई है । और हाल ही में हमने शादी की है बस 2 महीने ही हुए है ।" कल्याणी ने खुशी भरे एहंसास के साथ कहा। 

बहुत खुशी की बात है .. प्रिया ने कहा ।

" हा लेकिन खुशियों को ग्रहण लगते देर कहा लगती है । कब कंहा कैसे क्या हो जाए कोई नहीं जानता । " कल्याणी ने बहुत गंभीरता से कहा । कल्याणी की बात और आवाज़ में दर्द महंसूस हो रहा था अचानक .. ।

प्रिया ने पूछा ,"और आप क्या करते है मिस्टर कमलेश ?"

"मैं एक छोटा सा बिज़नेस मैन हूँ लकड़ियों का एक कारखाना है लकड़ी बेचता हूँ पैसे कमाता हूँ अपनी बीवी के हाथ का खाता हूं उसकी लिखी कहानियां सुनता हूँ और अपनी बीवी को प्यार भी करता हूँ ।" कमलेशहंसते हुए बोला।

इसपर कल्याणी शर्मा गयी । आप भी न हद आदमी है..।

"क्या.. आप कहानिया लिखती है ? क्या आप लेखिका है?"

प्रिया कल्याणी की तरफ झुकते हुए पूछी ।

"कोई बहुत बड़ी लेखिका नहीं हूँ बस थोड़ा बहुत जी करता है तो लिख लेती हूँ .." कल्याणी ने मुश्कुराते हुए कहा ।

"मुझे कहानियां सुनना पसंद है ।" प्रिया मुश्कुराकर बोली ।

" अच्छा... ये तो अच्छी बात है । " कल्याणी ने कहा।

आज कल क्या लिख रही हो आप ? प्रिया ने पूछा ।

" हॉरर... लाइक हॉटेड हाइवे । एक शार्ट कहानी लिख रही हूं फिलहाल । " कल्याणी बोली ।

" ओह.. आई लव हॉरर स्टोरीज.. मुझे बहुत पसंद है । " प्रिया ने आंखे बड़ी करते हुए कहा ।

"अगर आपको ऐतराज़ न हो तो कहानी सुनाइये न .. सफर में मज़ा आ जायेगा । " प्रिया ने कहानी सुनने की मनसा जताते हुए कहा ।।

"सफर तो चल ही रहा है ,,, हर सफर की अपनी कहानी होती है ,,, एक सफर खत्म होता है तो दूसरा शुरू हो जाता है ,,, एक काहानी खत्म होती है और दूसरी शुरू हो जाती है ।।

ऊपर से हाइवे का सफर .."

कल्याणी की बाते बार बार प्रिया को अजीब महंसूस करा रही थी ...

प्रिया कुछ ज्यादा सोचती इतने में कमलेश ने कहा , "हा कल्याणी .. जब प्रिया जी इतने प्यार से कह रहीहैं तो कम से कम मेरी खातिर तो इनका दिल मत तोड़ो .. सुना दो.. ।

इसपर कल्याणी मुश्कुरा दी..

ठीक है.. लेकिन प्रिया डरोगी तो नहीं .. सुनसान हाइवे में हाइवे की एक शार्ट कहानी है,,,, सुनना चाहोगी ।

" मुझे डर नहीं लगता.. एक काम कीजिये ये लाइट भी बुझा दीजिए ज्यादा मज़ा आएगा .. । " प्रिया ने खुद को हिम्मत वाली जताते हुए कहा ।

ठीक है ध्यान से सुनना .. और बीच मे रोकना मत टोकना मत ।। कल्याणी ने हिदायत दी।

कार के अंदर की लाइट बुझा दी गयी । बाहर पहले ही अंधेरा था अब कार के भीतर भी अंधेरा पसर गया । सन्सान हाइवे पर कार के फ्रंट लाइट की रोशनी हाइवे के अंधेरे को चीरते हुए चलने लगी और इधर कल्याणी ने कहानी सुनाना शुरू कर दिया ।

*****************

कहानी का शीर्षक है

'लिफ्ट' : हॉन्टेड हाइवे ।

कभी कभी रास्तो में राही किसी कारण से अटक जाते है उनकी ज़िंदगी की गाड़ी छूट जाती है ऐसे में अक्सर वो रुके हुए मुसाफिर मंजिल तक जाने के लिए मांगते है सहारा ... मांगते हैं लिफ्ट । ।

मगर उन राहियों का क्या जो किसी की मदद करने के ख़ातिर खुद की ही राह से भटक जाते है ,,, और रास्तो में ही अटक जाते है ।।

याद रखे रास्तो में अक्सर अजनबियों को लिफ्ट देना या किसी से लिफ्ट लेना आपकी जिंदगी के गाड़ी को हमेशा के लिए रास्ते पर ही फसा सकता है जिसकी फिर कोई मंजिल नहीं रह जाती बस रह जाता है रास्ता और लिफ्ट लेते देते मुसाफिर.. 

शाम हो चुकी थी .. अंधेरा हो चुका था । एक पति पत्नी का जोड़ा जिन्होंने हाल ही में शादी रचाई थी वो एक हाइवे से गुजर रहे थे । वो आपस में बाते करते हुए चल रहे थे ।

रास्ते मे किसी ने लिफ्ट मांगी..

दूर से ही देख ... कार में बैठी महिला ने अपने पति को कहा ," हाइवे में ये कौन अभी लिफ्ट मांग रहा है .. मत रोको.. पता नहीं कौन हो.. "

"अर्रे.. कोई मुसीबत में हो सकता है ... हमे रोकना चाहिए । " उसके पति ने कहा ।

कार जैसे ही नजदीक पहुंची तो एक लड़की धीरे धीरे कार के ड्राइविंग सीट की तरफ आयी और बोली, " मेरी गाड़ी खराब हो गयी है क्या आप लोग मुझे आगे तक लिफ्ट दे सकते है ? "

उन दोनों ने उसे गाड़ी में बैठने को कह दिया । वो पीछे बैठ गयी । रास्ते भर वो खामोश रही .. बीच मे उन शादी शुदा जोड़े ने उससे बात करने की कोशिश की मगर वो लड़की खामोश ही रही.. इसपर उन्हें अजीब सा लगा कि ये लड़की न अपने बारे में कुछ कह रही न हमारी बाते सुन रही न कोई जबाब दे रही .. । इतने में अचानक कार के आगे एक अजीब सा जानवर पता नहीं कंहा से आ गया । फ्रंट लाइट की रोशनी में वो नज़र आ रहा था । एक काला सा जानवर बिल्कुल बिल्ली जैसी थी बस उसका आकार थोड़ा सा बड़ा था ,,, रोशनी में उसकी आंखें बहुत चमक रहे थे.. आदमी ने अपनी कार रोक दी ।

उन दोनो को थोड़ा अजीब सा लग रहा था । लेकिन फिर वो जानवर चुप चाप वँहा से गुजर गया । जब उस आदमी ने दुबारा कार को चालू किया तो उसकी नज़रे ऊपर लगे मिरर पर सहंसा चली गयी तो उसने देखा पीछे वो लड़की नहीं थी जिसको लिफ्ट दिया था । वो मुड़ कर देखा तो पीछे उस लड़की को नहीं पा कर हैरान हो गया... उसकी पत्नी भी ये देख डर से कांप उठी ।।

उन्होंने तुरंत यंहा से जाना जरूरी समझा .. कार चालू कर आदमी फुल स्पीड में गाड़ी को बढ़ाया और तेज़ी से चले जा रहा था। 

वो दोनो डरे हुए थे..इससे पहले कंही कुछ बुरा न हो जाए वो हाइवे पार कर लेना चाहते थे । अचानक सामने में फिर से वही लड़की उनके कार के आगे आ गयी और उनके कार के कांच में चिमट गयी । वो दोनो बहुत ही ज्यादा डर गए.. इससे कार का संतुलन बिगड़ गया और उनका एक्सीडेंट हो गया । गाड़ी सड़क से बाहर हो गयी और किसी पेड़ में जाकर लगी और तिरछी हो गयी । कार में बैठी महिला को बहुत चोट लगी थी और वो लगभग मर ही चुकी थी । वो आदमी अब भी जिंदा था । वो बहुत मुश्किल से वंहा से उठा और सड़क के पास मदद मांगने चला गया । उसने हाथ दिखा कर गाड़िया रोकने की कोशिश की मगर एक भी गाड़ी नहीं रुकी । आखिर में उसने एक गाड़ी को रोकने के लिए बीच मे खड़ा हो गया.. मगर वो गाड़ी भी तेज रफ्तार से चली आ रही थी और वो रुकी नहीं बल्कि उस आदमी को कुचलते हुए निकल गयी ।

आदमी खून से लथपथ सड़क पर गिरा था। आदमी बहुत ज्यादा दर्द में था.. वो फिर भी रेंगते हुए अपनी पत्नी के पास गया,, उसने देखा उसकी पत्नी मर चुकी थी । थोड़ी देर बाद.. वो भी वंही अपनी पत्नी के पास लेटे लेटे मर गया ।

7 दिन बाद...


रात के लगभग 8 बज रहे थे... हाइवे एक दम सुनसान था । इस सुनसान और खामोशी भरी अंधेरी रात में सड़क पर एक लड़की सफेद कपड़े में खड़ी थी और हाथ दिखा कर लिफ्ट मांग रही थी । वंहा से गुजरने वाली एक भी गाड़ी नहीं रुक रही थी बल्कि उस लड़की के पास से गाड़ियां एक दम तेज़ी से पार हो रही थी ।

उसी वक़्त एक कार वंहा से गुजर रही थी । उस लड़की को देख उन्होंने अपना कार रोका । वो सफेद लिवाज़ वाली लड़की सामने आई और उसने कहा उसकी कार खराब हो गयी है उसे लिफ्ट चाहिए। इसपर अंदर बैठे पति पत्नी के जोड़े ने उसे अपने कार में बैठने को कह दिया...


प्रिया को थोड़ा अजीब लग रहा था कहानी सुन कर वो थोड़ी सी उलझन महंसूस कर रही थी लेकिन वो खामोश थी... 

कल्याणी ने कहानी को जारी रखा

उस सफेद पोशाक वाली लड़की ने अपना परिचय दिया और उस महिला और आदमी को धन्यवाद भी किया कार रोकने और लिफ्ट देने के लिए । 

रास्ते भर में तीनो बाते कर रहे थे । वो लड़की काफी बातूनी थी ।

बात करते करते जब उसे पता लगता है कि वो महिला एक लेखिका है तो वो उस महिला से एक कहानी सुनाने की गुजारिश करती है ताकि सफर का मज़ा आ जाए... वो महिला एक हाइवे में हुई एक घटना की कहानी सुनाती है...


इतना सुन कर अब प्रिया को होश आता है.. उसे ध्यान होता है , " ये तो हमारी ही कहानी सुना रही है.. हाइवे , सफेद पोशाक वाली लड़की यानी मैं , एक पति पत्नी का जोड़ा और लिफ्ट और फिर कहानी ।। " प्रिया ने मन ही मन खुद से कहा ।

उधर कल्याणी अब भी कहानी कह रह थी... और उसके कहानी के लफ्ज़ अब प्रिया को डराने थे ।

कल्याणी ने आगे सुनाया ..

"जब वो महिला कहानी बताने लगी तो एक वक़्त के बाद पीछे बैठी लड़की को लगने लगा कि कहानी जैसे वो जानती है वो बहुत अजीब महंसूस करने लगी । उसे थोड़ा थोड़ा एहंसास होने लगा,,, कि कुछ गड़बड़ है.. हो न हो ये कहानी उससे जुड़ी हुई है... उसने अपने दिमाग पर जोर डाला.. सब कुछ रिवाइंड किया । "

इधर प्रिया भी वही कर रही थी और वही महंसूस कर रही थी जो कहानी की लड़की कर रही थी...

प्रिया दिमाग पर जोर डाल कर सब कुछ रिवाइंड कर रही है यानी अपने दिमाग में सब पीछे करती जा रही है ,,, जैसे कोई फ़िल्म रिवाइंड होती है ..उसी तरह प्रिया के दिमाग मे भी सारी छवि और घटनाए रिवाइंड हो रहे है ।

उसे याद आता है ...

लगभग 6 - 7 दिन पहले वो पार्टी कर के इसी हाइवे से घर लौट रही थी अपनी कार में.. उसने हल्की सी दारू चढ़ा रखी थी । प्रिया बहुत तेज़ ड्राइव कर रही थी । रास्ते मे उसे एक शख्स दूर से दिखाई दिया था जो बीच सड़क में हाथ हिला रहा था.. प्रिया को लगा इतनी रात में कौन होगा.. जरूर कोई चोर उचक्का ठग होगा.. या कोई भूत पता नहीं.., उसने अपनी गाड़ी की रफ्तार और तेज़ कर ली थी और बिना रोके उस आदमी को कुचलते हुए चली गयी थी ।।

उसे याद हुआ कि " मैंने अपने कार से उस दिन इसी हाइवे में किसी को कुचल दिया था ... वो उस औरत का पति था..!!! ।" 

वो खुद से सारी बाते मन ही मन कहने लगी ।

ठीक साथ दिन बाद यानी आज शाम इसी हाइवे में मेरी गाड़ी खराब हुई और में लिफ्ट के लिए रुकी ,,, और इस गाड़ी में बैठ गयी ।

अब प्रिया को सब कुछ समझ आ गया.. जो जो हुआ सब कुछ कल्याणी के काहानी में शामिल था और वो लड़की जो उस कहानी में लिफ्ट मांग कर बैठी है कोई और नहीं बल्कि मैं ही हूँ ये बात प्रिया जान गई । वो जान गई कि उस रात जिसको मैंने अपनी कार से रौंद दिया था वो वही आदमी था...

कल्याणी ने आगे बताया...

उस महिला ने लड़की को जाहिर किया..और बोली कि जिस कार में तुम बैठी हो ये वही कार है जिसका 7 दिन पहले एक्सीडेंट हो चुका है और हम वही शादी शुदा जोड़े है ।। यदि तुम ने उस दिन कार रोक कर उस एक असहाय आदमी की मदद की होती ,,, अपने कार से उसे कुचला नहीं होता तो शायद आज हम जिंदा होते ..।।


प्रिया को मालूम हो चुका था कि जिस कार में अब प्रिया सवार थी उस कार का एक्सीडेंट हो चुका था और दोनो पति पत्नी जिनसे अब तक बाते करते आ रही थी वो जिंदा नहीं थे बल्कि ये उनकी आत्माए थी ।। प्रिया के रोंगटे खड़े हो गए ये जानकर कि वो उतने देर से दो आत्माओं के साथ एक कार में मज़े से बाते करते हुए आ रही है ।

प्रिया तुम्हे डर तो नहीं लग रहा है न ..???

कल्याणी ने कहा । इस बार उसकी आवाज़ नॉर्मल नहीं थी ।प्रिया की बोलती तो कब की बन्द हो चुकी थी मगर अब ऐसा लग रहा था कि उसकी सांसे भी बंद होने को थी । उस अंधेरे कार में उसकी हालात खराब हो चुकी थी । उसका हलक सूखा पड़ गया था।प्रिया को तो जैसे सांप सुंग गया था । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे क्या कहे । वो खामोश ही रही मगर उसकी धड़कन बहुत तेज़ थी । एक दम धीरे धीरे अपनी हाथ से कार का दरवाजा खोलने के लिए बढाई तो कार लॉक हो गयी । खट्ट खट्ट आवाज़ के साथ दोनो तरफ के दरबाजे लॉक हो गए और खिड़कियो के शिशे भी सरर से ऊपर चढ़ गए । कार अब भी चल रही थी । धीरे धीरे कार की रफ्तार तेज़ हो गयी । और अंदर का माहौल ठंडा होने लगा । तापमान गिरने लगा ।  

प्रिया अब डर से कांपने लगी और गिड़गिड़ाने लगी। 

"जाने दो जाने दो मुझे... छोड़ दो.."

वो दोनो जोर जोर से हंसने लगे.. अरे प्रिया अभी कहानी खत्म कहा हुई है .. अभी तोह इस कहानी का अंत बाकी है ... और इतने में कार की बत्ती जल उठी ।

प्रिया ने देखा आगे कोई भी नहीं बैठा था । कार अपने आप चल रही थी ,, लेकिन अगले ही पल उसने महंसूस किया कि उसके दोनों तरफ दो लोग बैठे थे । एक तरफ कल्याणी और दूसरे तरफ कमलेश मगर प्रिया की हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वो अपनी गर्दन हिलाए और न ही इसकी जरूरत थी क्योंकि सामने में लगे मिरर मे दोनो का चेहरा नज़र आ रहा था । अपने कानों में प्रिया को उन दोनों की गहरी सांसें चलने की आवाज़ महंसूस हो रही थी मानो कोई गुर्रा रहा हो..  प्रिया ने देखा धीरे धीरे उनके खामोश चेहरे काले होते गुए और कुछ जख्म उभर आए । दोनो के सर से सहंसा खून बहने लगा । प्रिया जोर से छीक उठी और लाइट बन्द हो गयी तथा कार पूरे रफ्तार में चलने लगी । प्रिया डर से चिल्लाती रही और कार किसी नॉन स्टोप ट्रैन की तरह तेज़ चल रही थी और फिर अचानक कार सड़क पर पलट गई ।

और...... प्रिया की मौत हो गयी ।।

सच कहा था कल्याणी ने कि कभी कभी अजनबियों को लिफ्ट देना और लेना दोनो ही जान लेवा बन जाता है खास कर हाइवे में ..


****************

हाइवे का सफर हाइवे तक ही सीमित रह गया...

कंही आप भी तो किसी हाइवे में सफर नहीं कर रहे है न.. 


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