Pooja Sharma

Others

4.5  

Pooja Sharma

Others

मै और तुम

मै और तुम

12 mins
240


"क्या कर रही हो अभी तक खाना नहीं बन पाया क्या" रोहित ने अपनी पत्नी आशा से कहा।

 " बस बन गया है कुछ रोटी रह गई है बनने के लिए आशा ने कहा " (वैसे तो आशा एक हाउसवाइफ है पर उसे लिखने का भी शौक है और इसीलिए वह कहानियां लिखती रहती है उसका सपना है कि वह एक लेखक बने )

 रोटी बन जाने के बाद आशा रोहित के लिए खाना परोसकर ले जाती है रोहित भी अपना काम करता है उसकी खुद की चूड़ियों की गोदाम है अच्छा खासा वह कमाता है उसके घर में किसी बात की कमी नहीं होती है उसने सबकुछ धीरे - धीरे कर लिया है आशा तथा उसके पति रहते तो वैसे अपने घरवालों के साथ ही हैं पर वह सब लोग अलग-अलग एक ही घर मे रहते है और सबका अलग खाना बनता हैं रोहित तीन भाई हैं एक उनसे बड़ा और एक छोटा बड़े वाले की शादी हो गई है और वह भी अपना अलग रहते हैं और उनके एक लड़का है अभी छोटे वाले शादी के लिए रह गए हैं इसलिए वह अभी मम्मी के पास खाना खाते हैं .....

  "वैसे खाना तो बहुत अच्छा बना है" रोहित ने आशा से कहा। "तो मैं आपके लिए टिपन लगा दूं आशा ने पूछा "

" टिपन रहने दो वह मत लगाओ मुझे भूख नहीं लगती है अगर भूख लगेगी तो मैं घर पर खाना खाने आ जाऊंगा रोहित ने आशा को मना करते हुए कहा " इसके बाद कुछ देर बाद वह खाना खाने के बाद आशा के पास बैठ कर बातें करता है और फिर वह काम के लिए निकल जाता है काम पर जाने से पहले वह आशा को एक प्यारी सी माथे पर चुंमन करके जाता है उसका रोज का था वह प्यार से आशा को माथे पर चुमता था फिर बाद में काम पर जाता था यह उसकी आदत बन चुकी थी ....

 रोहित के जाने के बाद आशा घर के काम में लग जाती है पर उसका सारा ध्यान रोहित पर ही रहता था वह उसकी यादों में खोई रहती थी क्योंकि वह अपने पति से बहुत प्यार करती थी .....

 आशा अपनी जिंदगी से बहुत खुश थी क्योंकि उसे बहुत प्यार करने वाला पति मिला था धीरे-धीरे सब कुछ ठीक चल रहा था पर एक बात उसे बहुत बुरी लगती थी वह था कि उसकी जेठानी का लड़का उसी के दरवाजे के सामने पेशाब करता था उसने कई बार अपने पति से यह बात कही उन्होंने कहा वह बच्चा है कर देने दो तुम ऐसा किया करो पानी डालकर उसे साफ कर दिया करो ....

पर आशा को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और उन्हें भी यह बात पता थी कि आशा को यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती है कि वह उनके दरवाजे के सामने पेशाब कर जाता है उन्होने अपनी भाभी से भी कहा कि उसे यहां पर पेशाब न कराया करें .... कई बार कहने पर उन्होंने वहां पर अपने बच्चे को पेशाब करने से मना कर दिया और फिर वह कुछ आगे बढ़कर वहां पर पेशाब करने लगा पर यह बात बहुत ही अजीब थी न यह बात आपको काफी अजीब लगी होगी क्योंकि उसकी जेठानी का बच्चा 4 साल का था इतने बड़े बच्चे को काफी समझ होती है पर उनकी मम्मी ने उन्हे कुछ समझाया ही नही उन्हे खुद ही नहीं पता कि आगे चलकर वह बच्चा उन्हीं पर भारी पड़ेगा....

 आशा छत पर रहती थी क्योंकि उसका घर दो मंजिल था इसलिए वह ऊपर वाली मंजिल पर रहती थी उसकी जेठानी भी ऊपर वाली मंजिल पर ही रहती थी वह दोनों आपस में एक दूसरे से बात करती थी और जरूरत पड़ने पर एक - दूसरे के काम भी करा लिया करती थी .....

 आशा अपने पति का इंतजार किया करती थी और वह शाम की राह देखती थी कि कब उसके पति आएंगे और कब वह उनसे प्यार भरी बातें करेगी कभी - कबार वह लोग बाहर भी घूमने जाया करते थे उसके पति देखने में काफी स्मार्ट थे वह सोचती थी कि पता नहीं मैं इनके लायक हूं या नहीं और वह कई बार उनसे यह बात कहती भी थी -"कि मैं आपके लायक नहीं हूं ...".

 पर वह कहते थे - "ऐसी कोई बात नहीं है तुम ऐसा मत सोचा करो क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे सिवा किसी और को प्यार कर भी नहीं सकता" और उनके मुंह से यह सुनकर उसे बहुत अच्छा लगता था कि उसके पति उससे कितना प्यार करते हैं .

 शाम को जब आशा के पति लौट कर आते हैं और फिर वह खाना खाते हैं खाना खाने के बाद वह लोग कुछ देर बैठ कर बाते करते हैं इसके बाद उसके पति बाजार के लिए निकल जाते हैं इस तरह वह रोज काम से आते थे और इसके बाद बाजार चले जाते थे सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था .... एक दिन आशा को पता लगता है की वह मां बनने वाली है उसे ऐसा कुछ आभास होता है तो वह अपने पति से प्रेगा किट मंगा लेती है इसके बाद जब वह चेक करती है तो उसे पता लगता है कि वह मां बनने वाली है यह बात वह अपने पति को बताती है वह बहुत खुश हो जाते हैं कि उनकी पत्नी मां बनने वाली है वह दोनों बहुत खुश होते हैं कि चलो अब वह दो से तीन हो जाएंगे और उनकी जिंदगी में एक नया मेहमान आएगा एक महीना कट जाता है ....

एक महीने के बाद आशा को उल्टियां होना चालू हो जाती हैं वह रोहित को बताती है तो रोहित ज्यादा खाना खाने से या गर्मी की वजह से उल्टियां हो रही हो यह कह देता और इस बात पर ज्यादा गौर नहीं करता हैं पर जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब होती है तो वह उसे डॉक्टर के पास ले जाता है डॉक्टर आशा का चेकअप करती है और फिर उन्हें बताती है - कि सब कुछ नॉर्मल है बस इनको खाना नहीं पच रहा है ऐसा होता है किसी -किसी को और इसके बाद वह कुछ दवाइयां लिख देती है वह लोग दवाई लेकर घर पर आ जाते हैं और वह उन्हें खाने के लिए फल और जूस बताती है रोहित चुकंदर ले आते थे और आशा को उसका जूस पीने के लिए कह जाते थे पर आशा को चुकंदर का जूस बिल्कुल भी पसंद नहीं होता था वह रोहित के कहने पर नाक बंद करके पी तो लेती थी पर उसे तुरंत उल्टी हो जाती थी पर रोहित कहता था हो जाने दो तुम दोबारा पी लो और वह फिर पीती थी और फिर उल्टी हो जाती थी जब उसे चुकंदर का जूस पचा नही तो रोहित ने चुंकदर लाना बंद कर दिया थी और फिर वह सेब तथा पनीर लाने लगा क्योंकि वह आशा तथा बच्चे को स्वस्थ रखना चाहता था ।

 पर वक्त के साथ-साथ आशा का चिचिड़ापन भी बढ़ता गया क्योंकि वह दवाइयां खा रही थी और इसकी वजह से उसे चिचिड़ापन हो रहा था वह हर समय रोहित पर चिल्लाती रहती थी और कोई भी बात जब वह कहती तो गुस्से से कहती और उल्टा जवाब देती थी पर बाद में जब वह रोहित को बताती थी कि उसे गुस्सा बहुत आता है और उसे कुछ समझ नही आ रहा है ....

 " मै समझ सकता हूं पर सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो" और वह यह कह देता था।

धीरे-धीरे वक्त बीतता गया 4 महीने बीत गए और वह रोज डॉक्टर के पास चेक के लिए जाया करते थे । सब कुछ ठीक चल रहा था एक दिन जब डॉक्टर के पास चेकअप कराने के लिए गए तो ब्लड टेस्ट में आया कि उसे पीलिया है यह सुनकर रोहित तथा आशा घबरा जाते है इसके बाद वह उन्हे दूसरे डॉक्टर के पास भेजती है पर वह दोनों लोग घर पर आ जाते है घर पर आने के बाद रोहित बहुत परेशान हो जाता है आशा उसे समझाती हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम परेशान मत हो हम किसी अच्छे डॉक्टर के पास चलेंगे पर रोहित को कोई अच्छा डॉक्टर पता नहीं होता है इसलिए वह आशा से कहता है - कि मुझे पता नहीं है कि यहां पर कौन - सा डॉक्टर अच्छा है क्योंकि इस डॉक्टर की दवाई से तो तुमको पीलिया हो गई है हमने और किसी डॉक्टर से दवाई तो ली नही थी इसी की दवाई खाने से तुम्हारी यह हालत हो गई है हम किसी अच्छे डॉक्टर के पास जायेगे तुम अपने पापा से बात करके देखो ....

 इसके बाद आशा अपने पापा से बात करती हैं पहले तो वह परेशान हो जाते है और उसकी डाँट लगाते है कि उसने अपना ध्यान नही रखा पर फिर वह उसको बताते हैं कि वहां पर एक बहुत अच्छे डॉक्टर हैं जो पहले यहां अस्पताल में काम किया करते थे अब वह वहां पर आ गए हैं तुम उनका पता लगाओ और वहीं से दवाई ले लो .....

 इसके बाद रोहित को वह बताती है रोहित उन डॉक्टर का पता लगाते हैं और उसके बाद वह लोग उन्ही डॉक्टर से दवाई लेने के लिए चले जाते हैं डॉक्टर उन्हें कुछ ज्यादा दवाई नहीं देते हैं बस खाने के लिए बता देते हैं रोहित आशा की खूब खबाई करता है जिससे वह एक महीने में ही ठीक हो जाती हैं धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होता चला जाता है पर आशा को अभी भी चिड़चिड़ापन रहता था उसे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता था

 आशा को गुस्सा आता था और वह रोहित को उल्टा सीधा कहा करती थी तो रोहित को भी गुस्सा आ गया था और वह भी उससे उल्टा सीधा कह दिया करता था इसके बाद उन दोनों में धीरे-धीरे झगड़ा शुरू होने लगा पर रोहित आशा को मना लेता था क्योंकि उसे पता था कि इतनी गुस्सा बच्चे पर हानिकारक होगी इसीलिए वह आशा को ज्यादा देर तक गुस्सा होने नहीं देता था और उसे वह तुरंत ही मना लिया करता था क्योंकि उसे उन दोनों की बहुत फिक्र रहती है वह अपने बच्चे से भी प्यार करता था और आशा से भी वह किसी को भी खोना नहीं चाहता था इसीलिए वह हर बार झुक जाया करता था और उसे मना लेता था ।

 धीरे-धीरे समय बीतता चला गया नौवां महीना करीब आ गया पर आशा को दिक्कत बहुत ज्यादा होने लगी थी उसे दर्द हमेशा होता रहता था इसीलिए रोहित उसे बार-बार डॉक्टर के पास ले जाता था पर अभी डिलीवरी का समय नहीं था वह लोग बहुत ज्यादा परेशान थे और आशा भी बहुत ज्यादा परेशान हो गई है थी वह हमेशा रोती रहती थी पर रोहित उसे समझाता था कि कुछ दिन और रह गए हैं बस तुम अपने आप को संभालो इसके बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा पर यह नौवां महीना आशा के लिए बहुत दर्दनाक जा रहा था क्योंकि उसे हर दूसरे दिन दर्द उठता था पर अभी डिलीवरी की कोई भी गुंजाइश नहीं थी और हर बार वह लोग डॉक्टर के पास जाकर लौट आते थे और जब अल्ट्रासाउंड कराया गया तो अल्ट्रासाउंड में तो डेट और आगे की दी गई जिससे यह पक्का हो गया कि अभी बच्चा नहीं होगा आशा दिन व दिन और ज्यादा चिडचिड़ी होती जा रही थी क्योंकि उसे बहुत असहनीय दर्द सहना पड़ रहा था पर रोहित उसका हमेशा मूड फ्रेश करता रहता था और उसे हंसाता रहता था जिससे आशा ज्यादा परेशान ना हो और उसे कोई दिक्कत ना हो आखिरकार वह घड़ी आ ही गई जब आशा को बहुत तेज दर्द हुआ और वह दर्द बंद ही नहीं हुआ इसके बाद उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया और फिर 4 घंटे के बाद आशा ने एक लड़की को जन्म दिया लड़की की बात सुनकर आशा बहुत खुश हुई क्योंकि उसकी तथा उसके पति की यही इच्छा थी कि उनको पहले लड़की हो ....

आशा बार-बार अपनी बच्ची को देख रही थी नर्स ने कहा - अभी आपके पास ही लिटा दिया जाएगा इसके बाद आप उसे जी भर के देख लेना ....

आशा अपना सारे दर्द भूल चुकी और बस अपनी बच्ची को निहारने लगी उसे अब ऐसा लग रहा था जैसे उसे सब कुछ मिल गया हो उसने जो चाहा भगवान ने उसे वह दे दिया और फिर दो-तीन घंटे बाद उन लोगों की छुट्टी हो गई और वह लोग घर पर आ गये ....

 घर पर आने के बाद आशा को आराम से बिस्तर पर लिटा दिया जाता है और उसे आराम करने के लिए कहा जाता है एक महीने तक वह आराम करती है और फिर वह घर के सारे काम करने लगती है सब कुछ ठीक चल रहा था पर डिलीवरी के बाद आशा का चिड़चिड़ापन अभी भी खत्म नहीं हुआ वह अभी भी चिडचिड़ती रहती थी और इसीलिए भी कि वह ज्यादा लिखने पर भी ध्यान नहीं दे पाती थी उसने लिखना लगभग छोड ही दिया था पर वह लिखना चाहती थी इसलिए उसे ज्यादा गुस्सा आता था उसे कुछ समझ में नहीं आता था कि वह क्या करें उसे यह लग रहा था जैसे उसकी जिंदगी खत्म हो गई हो अब वह जैसे कुछ कर ही नहीं सकती है क्योंकि बच्चा हो जाने के बाद सारा ध्यान वह उसी पर देती थी और इसी वजह से उसे लिखने का वक्त नहीं मिल पाता था पर उसे लिखना अच्छा लगता था और इसी कारण वह चिड़चिड़ाती रहती... .

रोहित को आशा की यह बात पता नहीं थी वह यह समझता था कि शायद कमजोरी की वजह से आशा चिड़चिड़ाती रहती है पर उसे यह नहीं पता था कि वह लिख नहीं पा रही है इसलिए उसे गुस्सा आ जाता है पर रोहित उसे समझाता था कि वह अपना ध्यान रखें और इस समय सब कुछ छोड़कर सिर्फ बच्चे और अपने को देखे लिख तो तुम बाद में भी लोगी पर वह तो कुछ समझना नही चाहती थी उसे यह लग रहा था जैसे उसके सपने खत्म हो गए हैं और अब वह उन्हें कभी भी पूरे नहीं कर पायेगी....

एक दिन खाना बनाते हुए चिमटा गिर जाता है पर आशा को इसी बात पर गुस्सा आ जाता है और वह चिमटे को उठाकर बाहर फेंक देती है पर यह सब रोहित देख लेता है और आशा पर चिल्लाते हुए कहता है यह क्या कर रही हो तुम .... पर आशा उल्टा चिल्लाकर कहती है यह बार-बार गिर रहा था इसलिए मैंने उसे उठा कर बाहर फेंक दिया ....

 इससे गुस्सा होकर रोहित बिना खाना खाकर वहां से चला जाता है ....

 आशा भी खाना नही खाती है जब रोहित शाम को आता है और वो आशा को उदास देखता है तो बिना कुछ कहे गोदाम चला जाता है....

 पर गोदाम जाते हुए रोहित की गाड़ी का एक्सीडेन्ट हो जाता है जिससे रोहित के पैर में चोट आ जाती है जब रोहित घर पर आता है और आशा को रोहित के एक्सीडेन्ट के बारें मे पता लगता है तो वो अंदर तक कांप जाती है उसके दिमाग में बहुत बुरे-बुरे ख्याल आने लगते है पर जब वो रोहित को सही सलामत देखती है तो वो एक सुकून की सांस लेती है और रोहित से कहती है " यदि आपको कुछ हो जाता तो मै अपने आप को कभी माफ नही कर पाती मुझे माफ कर दो आगे से मै आपसे कभी भी नही लडूंगी "

 रोहित आशा की तरफ देखकर कहता है " चलो तुम्हें अपनी गलती का तो एहसास हुआ क्योंकि जब तुम गुस्सा होती हो या लड़ती हो तो चोट मेरे दिल पर लगती है पर अच्छा हुआ तुम्हें समझ तो आई " और यह कहकर वो आशा को गले से लगा लेता है और फिर से वो खुशहाल जीवन जीने लगते है ।



Rate this content
Log in