मेहनत का फल
मेहनत का फल
एक समय की बात है एक गाँव में परिवार रहता था। वह परिवार बहुत ही गरीब था। उस परिवार में माता पिता और उसका एक बेटा रहता था। लड़का का नाम श्याम था। श्याम पढ़ने में कुसाग्र बुद्धि का था। वो अपने कक्षा मे हमेशा अव्वल आता था श्याम अपना प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही विद्यालय में पुरा किया था। उसका परिवार काफी गरीब होने के कारण उच्च शिक्षा के लिए पास के ही शहर में दाखिला करवाया। पहले उसके पिता उसे आगे नही पढ़ना चाहते थे लेकिन श्याम पढ़ना चाहता था। उसके पिताजी को समझाया और वो मान गए। उनके पिता जो गाँव के ही खेतो में मजदूरी किया करते थे। वे अपने बेटा को आगे पढ़ना चाहते थे लेकिन वे सक्षम नहीं थे।
श्याम हार नहीं माना वो आगे पढ़ना चाहता था इसीलिए उसने गाँव के ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और अपना पढाई जारी रखा। उच्च शिक्षा के लिए गाँव में विद्यालय न होने के कारण वो अपना नामांकन पास के ही शहर में करवा लिया। जो उसके गाँव के कुछ ही दूरी पर स्थित था। श्याम रोज सुबह विद्यालय जाता और शाम को बच्चों को पढ़ता और अपने मां पिता के कामों में भी हाथ बटाता। श्याम खूब लगन व मेहनत के साथ पढाई करता रहा।
एक समय की बात है जब वो पढ़ कर घर आया तो देखा मां की तबियत बहुत ही खराब थी। उस समय उसके पिता खेतों में काम कर रहे थे। वो अपने पिता को बुलावा भेजा तथा उसने अपनी माँ के पास बैठ कर दवा देने लगा। अचानक से माँ के हालात काफी खराब होने लगा उसके पिता और श्याम अस्पताल में ले गए जिससे उसकी माँ की हालत में कुछ सुधार हुआ। कुछ दिन के बाद धीरे-धीरे ठीक होने लगा। अब उसकी माँ की तबियत ठीक हो गया था श्याम के भी बोर्ड के परीक्षा नजदीक आ गया था। श्याम पूरी मेहनत से पढ़ाई कीया था। उसने परीक्षा के समय अच्छे से सभी पश्नों के उत्तर लिखे थे।
कुछ ही महीनों के बाद उसके परीक्षा के परिणाम घोषित हुआ। उसने बोर्ड के परीक्षा में भी अपने स्कूल में सबसे अव्वल आया। उसके माता-पिता बहुत खुश थे क्योकि उसके बेटा श्याम बोर्ड की परीक्षा पास कर लीया था। उसने जो मेहनत किया था उसका फल मिल गया और वह और मेहनत के साथ आगे की पढ़ाई जारी रखा।