Meena Bhatia

Classics Inspirational

4.1  

Meena Bhatia

Classics Inspirational

नाव में छेद

नाव में छेद

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एक समय की बात है। धनी आदमी को अपने किसी काम के लिए गांव से बाहर जाना पड़ा। उसने अपना रुपया- पैसा लिया और शहर की ओर जाने लगा ।अचानक बहुत तेज बारिश पड़ने लगी ।वह इधर-उधर आसरा खोजने लगा। तभी उसे एक कुटिया दिखाई दी। वह उस कुटिया की तरफ गया और आश्रय मांगने लगा ।तभी एक व्यक्ति कुटिया में से आया और पूछने लगा कि मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं? धनी व्यक्ति ने कहा बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है, मुझे थोड़ी देर के लिए आश्रय चाहिए। व्यक्ति ने उसकी सहायता की और उसे अंदर ले गया ,उसे कुछ खाने को दिया। धनी व्यक्ति ने अपने धन का घमंड दिखाते हुए कहा," नहीं, मैं यहां कुछ नहीं खाऊंगा ।मेरे पास बहुत पैसा है। मैं बाहर से ही खा लूंगा।"

बारिश रुकने पर हुआ है वहां से चला गया। उसे नदी पार करके शहर की ओर जाना था। उसने नाव ली और चलने लगा वह अपनी बातों ही बातों में नाव वाले को नीचा दिखा रहा था और अपने धनी होने का प्रदर्शन कर रहा था। तभी नाव वाले ने कहा ,"क्या आपको तैरना आता है?" धनी व्यक्ति ने कहा," नहीं "।तब नाव वाले ने कहा," तो आपका यह धन व्यर्थ है ,क्योंकि इस नाव में छेद है और यदि पानी भर गया तो आपका जीवन चला जाएगा।" अचानक धनी व्यक्ति बदल गया। उसने कहा कि तुम यह सारा धन ले लो पर मेरी जान बचा लो।मैं तुम्हारा उपकार कभी नहीं भूलूंगा । नाव वाले ने कहा," आप मेरा सहारा ले लीजिए।" वह तैरते- तैरते उसे किनारे पर ले आया ।धनी व्यक्ति अपनी बातों पर शर्मिंदा था। उसने कहा कि आगे से वह किसी का मजाक नहीं उड़ाएगा ।उसने नाव वाले को धन देना चाहा परंतु उसने लेने से मना कर दिया। धनी व्यक्ति अब सुधर चुका था।


शिक्षा- हमें अपने धन का अभिमन नहीं करना चाहिए।


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