Amit Goyal

Children Stories Inspirational

4.3  

Amit Goyal

Children Stories Inspirational

प्रेरणादायी कहानी

प्रेरणादायी कहानी

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प्यारे बच्चों, 

सामान्य जीवन में अक्सर हम देखते हैं कि कुछ परिवारों, बच्चों को उनकी आर्थिक स्थिति, सामाजिक स्थिति, शारीरिक स्थिति के कारण उचित मार्गदर्शन नही मिल पाता है, जिस कारण वे अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं।

 विद्यालयों में भी अक्सर देखा जाता है कि छात्र-छात्राओं को उनकी रूचि के अनुसार आगे बढ़ने के अवसर नहीं दिए जाते, जिस कारण उनमें छिपी प्रतिभा, कार्य करने के कौशलो का विकास नहीं हो पाता है।

 यदि छात्र-छात्राओं को उनकी रूचि एवं योग्यतानुसार सही समय पर सही मार्गदर्शन मिल जाये तो वह अपनी प्रतिभा सिद्ध करते हुए अपने जीवन में सपनों की उड़ान भर सकते हैं।

इसी भाव पर आधारित छात्र छात्राओं के लिए प्रेरणादायी महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की कहानी अग्रलिखित है-

सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को राजापुरा के मराठा परिवार में हुआ था। उनके पिता एक शिक्षक एवं मराठा कवि थे। सचिन तेंदुलकर चार भाई बहन में सबसे छोटे थे।

परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी समृद्ध नहीं थी कि चारों बच्चों की आवश्यकता की वस्तुओं को तत्काल उपलब्ध कराया जा सके। सचिन बाल्यकाल से ही पढ़ने में बहुत कमजोर थे एवं खेल में उनकी अधिक रूचि थी। कक्षा में सामान्य छात्र की भाँति प्रदर्शन ना कर पाने के कारण उनके भाई अजीत ने उन्हें सन 1984 में क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन दिला दिया। क्रिकेट एकेडमी में भी आशा अनुरूप प्रदर्शन न कर पाने के कारण उनके कोच रमाकांत आचरेकर ने उन्हें खेल सीखाने से मना कर दिया, परंतु एक विशेष आग्रह पर कोच द्वारा उन्हें क्रिकेट एकेडमी में क्रिकेट सिखाना शुरू कर दिया, इस बात का सचिन पर इतना असर हुआ कि वह पहले से बेहतर खेलते हुए, अपनी खेल-भावना को अधिक विकसित करते हुए धीरे-धीरे परिपक्वता की ओर अग्रसर होने लगे।

उसके पश्चात 14 वर्ष की आयु में जूनियर क्रिकेट लीग में अच्छा प्रदर्शन करते हुए भी जूनियर क्रिकेट अवॉर्ड ना मिलने के कारण सचिन बहुत दुखी हुए। तब उन्होंने क्रिकेट ना खेलने का मन बना लिया परंतु उस समय के महानतम खिलाड़ी सुनील गावस्कर द्वारा उनके खेल की प्रशंसा करते हुए उन्हें लैग पैड उपहार स्वरूप भेंट देकर उसका हौसला बढ़ाया।

कहते हैं -"सफलता के लिए प्रयास करते-करते असफल हो जाना उससे कहीं अच्छा है जिसने सफलता के लिए प्रयास ही ना किया होʼʼ

प्रत्येक असफलता हमें नए अनुभव नई सीख देकर जाती है।

 यही सचिन के साथ भी हुआ, 11 दिसंबर 1988 को 15 वर्ष की आयु में घरेलू क्रिकेट में मुंबई की तरफ से खेलते हुए गुजरात के खिलाफ शतक बनाकर बेहतर खेल का प्रदर्शन किया। उसके बाद 16 वर्ष की आयु में सन् 1989 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ 53 रनों की पारी खेलकर अपने कैरियर का शानदार आगाज किया।

निरंतर प्रयास,आत्मविश्वास, मेहनत एवं लगन के साथ सचिन क्रिकेट मैदान में चारों तरफ चौकों एवं छक्कों की बरसात करते हुए मास्टर ब्लास्टर, 22 गज की क्रिकेट पिच पर तेजी से दौड़ने के कारण तेंदुआ, एकदिवसीय एवं टेस्ट मैचों में तेजी से रन बनाने के कारण रन मशीन आदि उपनाम से जाने जाने लगे। भारतीय क्रिकेट के लिए खेलते हुए सन 1989 से 2011 तक अपने कैरियर में सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट एवं एकदिवसीय क्रिकेट में शतकों का शतक लगाया तथा टेस्ट क्रिकेट में 15921 रन एवं एकदिवसीय क्रिकेट में 18426 रन बनाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।

क्रिकेट कैरियर में सचिन ने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेकों रिकॉर्ड अपने नाम किए, भारत देश का शीश गर्व से ऊँचा कर दिया एवं समय-समय पर विभिन्न पुरस्कारों से नवाजे गए। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अपने कैरियर में 6 बार विश्व कप खेलने वाले प्रथम खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने 2011 के वर्ल्ड कप में महान भूमिका निभाई एवं सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में चुने गए।

अपने क्रिकेट कैरियर का समापन करते हुए 23 दिसंबर 2012 को वनडे क्रिकेट एवं 16 नवंबर 2013 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। संन्यास के बाद भारत सरकार द्वारा सन् 2014 में भारत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए गए।

 साथ ही सामाजिक दायित्व निभाते हुए गरीब बच्चों, असहाय बच्चों की सेवा करते हुए 'अपनालय' एनजीओ के माध्यम से 560 बच्चों की शिक्षा दीक्षा, पालन-पोषण की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।

 सचिन तेंदुलकर का जीवन दर्शन बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत है बच्चे अपनी रूचि के अनुसार कार्य करते हुए अपनी मेहनत, लगन, आत्मविश्वास के साथ कार्य करे। अपने अंदर छिपी हुई प्रतिभा एवं कौशल को विकसित कर अपने जीवन में आगे बढ़े।

 तेंदुलकर का जीवन दर्शन शिक्षकों को यह संदेश देता है कि बच्चों का उनकी रूचि एवं योग्यतानुसार मार्गदर्शन कर उनमें छिपी प्रतिभा एवं कौशलों का विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दें।

 सामाजिक स्तर पर सचिन तेंदुलकर का जीवन दर्शन जनमानस के लिए संदेश देता है कि अपने धन-संपत्ति का सदुपयोग गरीब असहाय बच्चों की शिक्षा, पालन-पोषण पर करें जिससे वह अपने जीवन में आगे बढ़ सके।


 बचपन में पले-बढ़े माँ के दुलार संग,

 गुरुजनों से प्राप्त कर ज्ञान।

 कुछ ख्वाहिशें पूरी करने को,

 भरनी होगी सपनों की उड़ान।।


 पढ़ाई करें जी भर कर,

 अपने कर्तव्यो का करें ध्यान।

 जिंदगी की राहों में संघर्ष करने को,

 भरनी होगी सपनों की उड़ान।।


 कर्म क्षेत्र की रणभूमि पर,

 पास करने को हर इम्तिहान।

 हर मुश्किल घड़ी का सामना करने को,

 भरनी होगी सपनों की उड़ान।।


 पाने को हर मंजिल,

 छूने को नीलगगन आसमान,

 दुनिया की महफिल में छा जाने को,

 भरनी होगी सपनों की उड़ान।।


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