sonal johari

Drama Romance Fantasy

3.9  

sonal johari

Drama Romance Fantasy

परर -8: मालवन में 'वो'

परर -8: मालवन में 'वो'

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आपने पिछले पार्ट में पढ़ा कि अर्जुन, मंजरी से माफी मांगता है...शुक्रिया सदा करने मंजरी, देवाश से मिलने जाती है ..जहाँ से लौटते वक्त उसे राहुल मिल जाता है और ये बोलते हुए कि कुछ जरूरी बात करनी है रिसॉर्ट् को दिखाकर ..उसे कार में बिठा तेज़ रफ़्तार में गाड़ी रिसॉर्ट् की ओर बढ़ा देता हैअब आगे..


"सुना है अर्जुन आया था तुमसे मिलने...क्या पैचअप हो गया है"? राहुल ने माथे पर बल डालते हुए पूछा तो मंजरी को बड़ा आश्चर्य हुआ उसने सोचा 'इसे कैसे पता...शायद देख लिया हो राहुल या किसी ऑफिस के मेम्बर ने.. अर्जुन आया भी तो ऑफिस के पास ही था.."

"क्या हुआ...जवाब नहीं दिया तुमने "? राहुल ने फिर से पूछा

"हम्म....अर्जुन को अपनी गलती एहसास हो गया है" मंजरी ने जब मुस्कुरा कर कहा तो राहुल के माथे पर बल पड़ गए उसने गुस्से में दाँत भींचे और गाड़ी की स्पीड फुल कर दी...

"राहुल गाड़ी की स्पीड बहुत ज्यादा है...धीमी करो" वो घबराकर बोली

"तुम्हीं ने कहा ना ..देर हो रही है"

"हाँ लेकिन...."

"बस्स थोड़ी देर की बात है"...जो राहुल ने सख्त लहजे में कहा तो मंजरी चेहरे पर शिकन डाले चुप हो गयी...राहुल ने गाड़ी रिसोर्ट के बाहर गाड़ी रोकी और मंजरी से बोला "देखो जरा इसका आउटलुक कैसा लगता है तुम्हें मंजरी"

"हम्म...बहुत ही वैभवशाली" मंजरी ने टालने के अंदाज़ से बोल दिया..वो जल्द से जल्द बापस जाना चाहती थी..

"हम्म तुम्हारी पसन्द का जो है ..नीले और सफेद रंग का कॉम्बिनेशन..कमाल की पसंद ही मंजरी...आओ अंदर आओ..."मंजरी, राहुल के साथ अंदर चली गयी और रिसॉर्ट में प्रवेश करते ही राहुल ने सबसे पहले वाले कमरे में उसे बैठने का इशारा किया और बोला

" मंजरी...जरा सोचकर देखो ..अगर तुम इस रिसोर्ट की मालकिन बन जाओ तो कैसा रहे"

"..क्या" ? चौकती हुई मंजरी ये सुन कर उठ कर खड़ी हो गयी...

" सिर्फ ये रिसॉर्ट ही क्यों..मेरा बंगला जिसकी तुमने तारीफ भी की थी...अगर उस बंगले की मालकिन भी तुम बन जाओ तो..

"राहुल...ये... सब.."मंजरी ने उसे टोकते हुए कहा लेकिन राहुल जैसे कुछ भी सुनने के मूड में नहीं था..बस्स बोल रहा था

"..वो कार जो मैंने तुम्हें काम करने के लिए दी थी..उस कार समेत कई गाड़ियों की लाइन लग जाए और..नौकरों की फौज जो तुम्हारा हुक्म सुनने को हमेशा तैयार रहे ..तो"

"राहुल ..मेरी बात ..." राहुल को टोकती मंजरी उससे कुछ बोलना चाही तो राहुल मुस्कुराते हुए उससे थोड़ा दूर हट कर कुछ कदम चला फिर बोला.."साथ ही ये गुलाम...(अपना एक हाथ सीने पर रखते हुए वो बड़ी स्टाइल से मंजरी के सामने झुका) जो जिंदगी भर तुम्हारी ग़ुलामी खुशी -खुशी करे ...तो क्या कहोगी...बोलो मंजरी ...बनोगी मेरी " अपनी बात पूरी कर राहुल की नजरें मंजरी के चेहरे पर जवाब सुनने के लिए टिक गयीं...मंजरी अपना मुँह खोले और आँखें फैलाये राहुल की ओर देखने लगी ..उसे राहुल से सुनी हुई बात पर यकीन नहीं हो रहा था..

"राहुल शायद होश में नही हो तुम...चलो यहाँ से...कल बात करते हैं..उसने बेड पर रखा खरगोश गोद में उठाया और दरवाजे की ओर लपकी...इतने में तेज़ी से आगे बढ़ कर राहुल ने मंजरी का हाथ पकड़ा और पीछे की ओर खींच लिया

"राहुल..बिल्कुल होश खो बैठे हो क्या..."? वो गुस्से में हाथ छुटाते हुए बोली

"अब भी होश ना खोऊँ ..अब भी " वो गुस्से में चीखा

"क्या मतलब ..."?

(खीज़ी हुए हँसी में) भोला बनने का नाटक अच्छा कर लेती हो मंजरी...लेकिन मुझे तो तुम्हारा ये भोला बनना भी पसंद है"

इस पर मंजरी बस्स उसे घूरती है..

"....भोली...तुम तब भी भोली रहीं ..जब इन बीते तीन सालों में मैंने तुमसे कभी भी एम्प्लॉई जैसा सुलूक नहीं किया...तब भी भोली रही ...जब इस रिसॉर्ट की पूरी जिम्मेदारी तुम को दी...

"वो तो इसलिए ना....कि तुम्हें मेरा काम पसंद.." मंजरी ने बोलना चाहा

"(मंजरी को बीच में ही टोकते हुए ) चुप रहो...कमी नहीं है मेरे ऑफिस में क़ाबिलीयत की...लेकिन तुम्हें ही हर काम में सबसे पहले इसलिए चुना कि तुम आस पास रहो मेरे..."

"शराब पी है ना तुमने इसलिए होश में नहीं हो...कुछ भी अनाप-शनाप बोल रहे हो..वरना अर्जुन से मेरा रिश्ता छुपा नहीं है तुमसे...कम से कम दोस्ती का लिहाज तो रखो"

(मंजरी के इर्द-गिर्द घूमते हुए) "दोस्ती माय फुट ...अर्जुन...अर्जुन..अर्जुन..(दाँत पीसते हुए) कान पक गए मेरे इस नाम से ..वो भिखमंगा क्या दे सकता है तुम्हें...बोलो मंजरी ...अरे दे तो तब पायेगा ना जब उसके पास कुछ हो"

"(गुस्से में) बस्स करो... मुझे लगा था तुम ...तुम अच्छे इंसान हो ..तुममें अच्छा दोस्त देखने लगी थी मैं...और तुम...बहुत हुआ अब मैं अर्जुन के खिलाफ एक शब्द नहीं सुनूंगी "

"(अपना चेहरा ऊपर उठाकर आँख बंद करके) फिर अर्जुन..(मंजरी के कंधे झकझोरते हुए) भीख मांग रहा है वो ..सुना...हाथ में कटोरा लेकर दरवाजे- दरवाजे जा रहा है लेकिन उसे कोई भीख तक देने को तैयार नहीं...वो तुम पर भरोसा तक नहीं करता मंजरी.....मुझे देखो मैं तुम्हारी एक मुस्कान पर अपना सब कुछ दांव पर लगा सकता हूँ..वो अर्जुन क्या कर सकता है..अरररे किया ही क्या है उसने आज तक तुम्हारे लिए...."

"मैं अर्जुन से प्यार करती हूँ ..और अच्छी तरह जानती हूँ अर्जुन कितना प्यार करता है मुझसे...मुझे तुमसे कुछ जानने की जरूरत नहीं है...समझे"

" और मैं दो सालों से तुम पर मरता आ रहा हूँ ..ये नहीं दिखा तुम्हें...तुम बहुत खूबसूरत हो मंजरी.. बिल्कुल हीरे की तरह ... कोहिनूर हीरा हो तुम....और हीरा भिखारी के कटोरे में बिल्कुल अच्छा नहीं लगता शादी कर लो मुझसे...उस बंगले की अकेली मालकिन बनकर रहना...तुम कहोगी तो अपनी माँ ...उस बुढ़िया को भी यहाँ से कहीं दूर भेज दूँगा मैं...ताकि तुम्हारे आराम में कोई खलल ना हो"

गुस्से में मंजरी 'तड़ाक" की आवाज के साथ झन्नाटेदार तमाचा राहुल के गाल पर जड़ दिया और बोली

"तुम्हें किसी भी रिश्ते का लिहाज नहीं ..मैं तुमसे शादी कभी नहीं करूँगी...कभी न...हीं"

इतना बोल वो दरवाजे की ओर तेज़ी से भागी...गुस्से में आग बबूला राहुल ने जब उसे जाते देखा तो भागकर मंजरी के बाल पकड़ लिए और बोला .."तुझे शायद इज़्ज़त की भाषा समझ नहीं आती.. बहुत इनवेस्टमेंट किया मैंने तुझ पे और बहुत इंतज़ार भी किया है....आज फैसला होकर रहेगा मंजरी सो भी मेरे फेवर में "

"आह .."दर्द से कराह उठी मंजरी ..तो राहुल ने उसे वापस कमरे की ओर धक्का दे दिया और जेब से शराब की बोतल निकालकर पीने लगा...मंजरी, राहुल का ये रवैया देखकर मन ही मन डर गई थी उसने सोचा 'इस वक़्त सबसे ज्यादा जरूरी है यहाँ से कैसे भी वापस निकला जाए..इस वक़्त इससे लड़ना मेरे लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है..वो खड़ी हुई और दृढ़ आवाज में बोली "राहुल.. ..बस्स कल तक का वक़्त दे दो...कल आराम से बात करेंगे .. " वो रिकवेस्ट करती हुई बोली

राहुल जो अब तक पूरी बोतल गटक चुका था...पलटा और मंजरी की ओर बढ़ा. ..मंजरी को शराब में डूबी उसकी लाल आँखों से घृणा हुई ...वो पीछे की ओर कदम बढ़ाने लगी...राहुल उसके पास आते हुए जोर से हंसा मंजरी को उसकी हँसी बहुत डरावनी लग रही थी....वो मन ही मन राहुल की बात मानकर उसके साथ आने पर बहुत पछता रही थी..

"ओह्ह..तो तुम समझ गयी मेरी बात ...जो दो सालों से ना समझ सकी ...जो अभी कुछ मिनट पहले तक ना समझी...वो अचानक समझ गयी ..."? राहुल एक विषैली हँसी हँसते हुए बोला...

"हां राहुल तुम सही कहते हो..(मन ही मन ये सोच कर कि शायद अर्जुन की बुराई करने से राहुल शांत हो जाये और उसे मंजरी पर यकीन हो) अर्जुन तुम्हारे आगे कुछ नहीं...लेकिन घर में सबको बताना पड़ेगा ना शादी के लिए...हां .. .चले यहाँ से.? .या एक काम करते हैं ...तुम बहुत थके हो...यहाँ आराम करो...प्लीज़ मुझे जाने दो" कहते हुए उसने धीरे से अपने कदम बाहर की ओर बढ़ाने शुरू किए...और राहुल ने जब उसे जाते देखा तो गुस्से में मंजरी के बाल पकड़ कर खींचा और उसके गाल पर एक चांटा मारने के साथ ही बोला

" सारी दुनिया चलाता घूमता हूँ मैं और तू ..मुझे चलायेगी..

(जोर से बाल खींचता है मंजरी के जिससे मंजरी रोने लगती है) बहुत कर ली मिन्नतें मैंने...अब सीधे फैसला अपने पक्ष में करूँगा ..मैं इतना मजबूर कर दूँगा तुझे, कि मुझसे शादी के अलावा कोई और उपाय बचेगा ही नहीं तेरे पास.." इतना बोलने के बाद उसने मंजरी को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर से बेड पर फेंक दिया...

"आ...ह .....देबू" मंजरी डरकर जोर से चीखी

फिर राहुल मंजरी की ओर जैसे ही झपटामंजरी बेड के दूसरी तरफ से फुर्ती से नीचे उतर गयी ..वो डर से काँप रही थी..अगले ही पल बेड के ऊपर सीलिंग पर लगा एक छोटा सा फानूस "चिर्र्क चिर्र्क' की आवाज करते हुए ठीक राहुल के ऊपर गिरा ..राहुल बहुत फुर्ती से उस जगह से बेड पर ही सरक गया जिससे बाल -बाल बच गया फिर भी कांच की कुछ किरचे उसके चुभ गयी ..वो बेड से नीचे उतर मंजरी की ओर लपका...तो मंजरी राहुल से बचती हुई ...कमरे से भागी और लॉबी तक आ गयी ....राहुल उसके पीछे पीछे आया और फिर अगले पल 'छटाक..छटाक...छटाक की आवाज करते हुए रिसोर्ट में लगे सारे शीशे एक -एक कर टूटने लगे...राहुल भौचक सा अपना सिर घुमाते हुए बस्स देखता जा रहा था...फिर एक 'धम्म'की जोरदार आवाज हुई और राहुल लॉबी का मेन गेट खोलकर बाहर दौड़ा उसकी कार की छत पूरी तरह टूट कर अंदर धंस गयी थी ..मंजरी भी सब भूल-भाल कर आँखें खोले भौंचक सी सब देख रही थी

डर से राहुल चीखा "ये साला ..हो क्या रहा है.."

वो वापस अंदर लॉबी की ओर पलटा तो उसकी आँखें फैल गयी लॉबी में लगा झूमर बुरी तरह एक तेज़ झूले की तरह हिल रहा था...

राहुल कुछ करता या सोचता इससे पहले ही झूमर लहराता हुआ उसके ऊपर गिरा..वो तेज़ी से हटने की हड़बड़ाहट में नीचे गिर गया...जिससे झूमर उसके पैर पर गिर गया..एक तेज़ "आ..ह" निकली उसके मुँह से और उसने मंजरी की ओर देखा, मंजरी ने घृणा से अपना मुँह फेर लिया..और उसके दिमाग में एक बात कौंधी 'यही सही मौका है' वो पूरी ताकत से बाहर की ओर भागी.."बहुत भाग लीं मंजरी..कब तक भागोगी" जब ये आवाज सुनी तो नजर ठीक सामने चली गई ..गुस्से में देवांश उसी की ओर चलता आ रहा था.."देबू.." वो बच्चों की तरह उसे देखकर चीखी..

"कहा था ना, जब भी बुलाओगी ..दौड़ा आऊँगा" देवांश उसके पास आकर बोला...तो मंजरी को बहुत हिम्मत महसूस हुई वो रोते हुए बोली " देबू...वो राहुल..."? देवांश ने उसे हाथ दिखा इशारे से रोका और अंदर जाते हुए बोला "आओ पिक्चर दिखाता हूँ"

"पिक्चर.." मंजरी ने दोहराया और देवांश के पीछे-पीछे चल दी......


क्रमशः........

    


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