साया
साया
बात आज से 18 साल पहले की है। तब राजीव 12 वीं कक्षा का छात्र था। उसके गाँव में तो हायर सेकेंडरी विद्यालय था नहीं। इसलिए वह अपने गाँव से दूर, पढ़ने के लिए शहर आया हुआ था। उस समय यातायात के पर्याप्त साधन नहीं थे। उसको शहर आने के लिए अपने गाँव से 5 किमी दूर एक गाँव जाना पड़ता था, वह भी पैदल। जहां से उसको शहर के लिए ट्रेन मिलती थी।
एक बार की बात है राजीव शाम की ट्रेन लेकर शहर से अपने गाँव जा रहा था। पर ट्रैन बहुत लेट हो गई और करीब दो बजे रात को उसने राजीव को उसके गाँव के पास वाले स्टेशन पर छोड़ा।
यह एक छोटा सा गाँव वाला स्टेशन था। ट्रेन से मात्र दो यात्री और उतरे थे जो अपने अपने रास्ते चले गए। राजीव ने आस पास देखा कोई नजर नहीं आया। उसे यहाँ से 5 किमी दूर अपने गाँव तक पैदल जाना था। रात का समय था, वह अकेला, और रास्ता जंगल से होकर गुजरता था। वह थोड़ा डरा हुआ था, लोगों या जंगली जानवरों का डर नहीं, ये डर तो हॉरर शो देखने से पैदा हुआ डर था।
पर डर को अलग करते हुए राजीव ने गाँव की ओर चलना शुरू कर दिया। जैसे ही इस गाँव से बाहर पहुंचा उसे दूर से गाँव का विश्राम घाट नजर आया। उसके मन में पता नहीं कैसे कैसे विचार आने लगे। जैसे जैसे राजीव श्मशान घाट के पास पहुंच रहा था उसका कलेजा मुँह में आ रहा था। वह मन ही मन 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे' का जाप करते करते थोड़ा और नज़दीक पहुंचा। और..
और अचानक से उसको शमशान घाट में एक दीपक जलता नजर आया, और मंत्र की आवाज़ सुनाई दी
ॐ अवधूनाथ गोरष आवे, सिद्ध बाल गुदाई ।
घोड़ा चोली आवे, आवे कन्थड़ वरदाई ।
ॐ अवधूनाथ गोरष आवे, सिद्ध बाल गुदाई ।
घोड़ा चोली आवे, आवे कन्थड़ वरदाई ।
राजीव की तो जान चोटी पर चढ़ गई। पाँव में जैसे जड़ लग गई। उसने तुरंत अपना रास्ता बदल दिया। अभी वह थोड़ी दूर ही चला था कि उसको ऐसा लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है। राजीव डर के कारण खुद में सिमटा जा रहा था। लेकिन उसने थोड़ी हिम्मत करके पीछे देखा तो वहां उसको कोई भी नजर नहीं आया। पास एक पत्थर पड़ा था उसने वो पत्थर हाथ में उठा लिया और चलने लगा।
दूर से उसको सियार की या कुत्तों की रोने जैसी आवाज़ सुनाई दे रही थी, राजीव डर से दोहरा हुआ जा रहा था।
वह डरते डरते धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था, तभी उसकी नजर सामने वाले पेड़ पर पड़ी। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता या सम्हल पाता एक साया पेड़ से उस पर कूदा। और राजीव अचानक उठ कर बैठ गया। वह सर से पैर तक पूरा पसीना पसीना हो चुका था। इस बार भी वह बाल-बाल बच गया था। उसने भगवान से कहा "थैंक गॉड, आपने इस बार भी टाइम पर उठा दिया, वरना आज मैं तो गया था।"