Neeraj K

Abstract

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शहर 1

शहर 1

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हर  दिन की तरह आज भी चला गया इस जल्दीबाजी वाले ज़िन्दगी मे मैं बहुत ही तक गया इस दिल्ली शहर में किसी को भी कूच ‌भी करने के लिए समय नहीं है सब ऐसे ही भाग रहा है, मैं भी पर एक दिन मैनें एक लड़की को देखा वो फूल जैसे सुन्दर थी वो फूल बेच रहा थी मुझे लगा कि एक फूल खरीदू, मेने सोचा फूल खरीद कर मां को दे इसलिए करीदा जब मां के खुशी देखा तब मेरा खुशी बडग्या इसलिए मै सोचा कि हर दिन वहां से फूल खरीद कर मां को दे उनके खुशी से और क्या है जब भी उस लड़की से फूल खरीदता है मै उससे जल्दीबाजी में कुछ- न- कुछ बातचीत करता है बहुत दिन गुज़ारा हम बहुत अच्छा दोस्त निकले एक दिन कमला ने मुझे उसके घर पर बुलाया मुझको बहुत ही खुशी हुआ मैं कल ही उसके घर चले जब अड्रेस वाले स्ट्रीट आया वह एक गंदी बस्ति थी उस रास्ते से मै‌ चेल रेहा था वहां से उतनी गंदगी आ रहा था वहां मेने एक भिखारी को देखा उसको दोनो पैर नही था मेने और भी अनेक भिखारियो को देखा तोडा‌ और अन्दर गये तो ‌मेने ऐसे लोगों को देखा जिसको भोजन भी नहीं मिल रहा है यह सब देखकर मैं सोचने लगा मैैं कितना भाग्यशाली है अगर मैं अपने आप को इनसे मिलजुुलेे तो यह कह सकता हूं कि भगवान ने कृपा किया जल्दी ही मैै कमला के घर पहुंचेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे तोडे देेर बात मुझे पेेट मे अस्वस्थता होने लगा मेेनेे कहा मुुुझे शौचालय जाना हेे तभी उसने कहा यहां कोई शौचालय नहीं है और उसने कहा हम बाहर जाते हैं मैैं इसलिए बाहर गया फिर मैं घर लौटा बहुत दिन बाद मेरे मांं एक लड़की को मेरे शादी के लिए ढूंढ लिया फिर मेरा शादी हुआ हमारे ज़िन्दगी बहुत ही खूबसूरत था हमारे खुबसूरत ज़िन्दगी में एक और अदिति आया मेरे बेटी वो हर दिन बड़े होने लगे वो बारहवीं कक्षा तबी वो स्कूल से वापस आते वक़्त कोई उसे पकड के लेग्या हम कही जगहों पर ढूंढा पर तीसरी दिन मेरे बेटी के मृतशरीर मेने‌ देखा हम केस दिया उन्होंने मेरे सामने से मेरे पत्नी और मेरे मांं को मारडाला मैं उन सब को एक से मुताबिक एक को मारडाला मेरे नाम पुलिस का कृमिनल डायरी पर डाला गया।‌ पुलिस मुझे अरेस्ट किया।


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