Diwa Shanker Saraswat

Inspirational Others

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Diwa Shanker Saraswat

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विकलांग

विकलांग

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  श्री कृष्ण जन्मभूमि संस्थान मथुरा का प्रसिद्ध मंदिर है। वैसे इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने यहीं जन्म लिया था। कुछ इसे कंस का कारावास भी कहते हैं। जो भी रहा हो। मुझे कुछ बातें बहुत प्रभावित करतीं। एक तो मंदिर के चारों तरफ लिखे अद्भुत वाक्य। दूसरा मंदिर से खड़े होकर मस्जिद का दृश्य देखना। दो अलग अलग धर्मों के लोग साथ साथ पूजा करते दिखते। कभी कभी दूसरी तरफ देखकर हाथ भी हिला देता। प्रतिक्रिया में भी उस तरफ से हाथ हिलाकर किसी का अभिवादन मिल जाता। वैसे यह बात सन २००० से २००४ के मध्य की है। जब मैं इंजीनियरिंग का विद्यार्थी रहा करता था। 


 मंदिर के मुख्य द्वार पर दो बड़े पहरेदारों की भव्य मूर्तियां लगीं होतीं। कुछ ही दूर पर भिखारी पंक्ति में बैठते। वृन्दावन में भिखारी अक्सर भक्तों के पीछे भागते पर शायद पुलिस का डर था तो यहाँ बड़ी शांति से बैठते। 


  कई बार किसी विकलांग या वृद्ध भिखारी को देख मन में दया उठती और जेब से एक रुपये का सिक्का निकाल उन्हें दे देता। इससे ज्यादा दे पाने की उन दिनों सामर्थ्य भी नहीं थी। 


   पहरेदार मूर्तियों के काफी नजदीक एक बड़ा असहाय विकलांग बैठा था। सामने एक वजन तोलने की मशीन रखी थी। मन में आया कि आज इसकी मदद कर दूं। जेब से एक रुपये का सिक्का लेकर जैसे ही मैंने उसे दिया, वह गुस्से में लाल हो गया। 


  " तुम्हें क्या मैं भिखारी नजर आता हूं। भीख भिखारियों को दो। मैं तो वजन तोलता हूं।" 

  मुझे अपनी गलती समझ आ गयी। तुरंत बात को मैंने बदला। 


  "ठीक है भैया। मेरा वजन तोल दो।" 

 वजन तोलने के भी एक ही रुपये लग रहे थे। 

  "पर नहीं। तुम मुझपर दया करके वजन तुलवा रहे हो। तुम्हारा वजन नहीं तोलूंगा। "


 उस दिन उसने मेरा वजन तोला नहीं तो नहीं तोला । पूरी तरह बेकार शरीर के उस विकलांग को न तो भीख लेना मंजूर था और न किसी की दया का फायदा उठाना। 



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