ये बच्चे नहीं समझते
ये बच्चे नहीं समझते
"अब बस भी करो पापा मुझे ऑफिस जाने में देर हो रही है,"रोहन लगभग गला फाड़ते हुए बोला-यह क्या लगा रक्खा है। माँ ,माँ की ममता,पिता का प्यार।सब पता है मुझे,आप दोनों जो भी मेरे लिए करते हो वो आपका फर्ज है मुझे जब पैदा किया है तो फर्ज निभाना भी पड़ेगा। ऐसा कहकर रोहन तेज कदमों से बाहर निकल गया। रोहन के मुंह से ऐसी बातें सुनकर उसके पापा की आंखों में आंसू छलछला उठे। तभी शारदा की आवाज़ सुनकर ख़ुद को सम्हाला और होंठो पर झूठी मुस्कान लिए शारदा से बोले"हमारा बेटा अब वास्तव में बड़ा हो गया है"और चल पड़े अपनी कपड़ों की दुकान खोलने। शारदा देवी कभी हाथ में लिए हुए नाश्ते को तो कभी दरवाजे से जाते हुए अपने पति को देख रहीं थी।
दोपहर में रोहन जब खाना खाने के लिए घर आया माँ ने बड़े प्यार से भोजन परोसा और उससे बोलीं"तुम पापा की बातों पर ज्यादा गुस्सा न किया करो,उन्हें तुम्हारी फिक्र है न इसीलिए समझाते हैं । "ओह्ह।आप भी शुरू हो गईं ,खाना खाऊं या छोड़ दूं?"रोहन ने गुस्से से कहा तो माँ सकपका गई ।अरे.. रे ..तुम गुस्सा मत हो ठीक से खाना खाया करो भूखे हो न इसीलिए चिड़चिड़े हो रहे हो और कितने कमजोर हो गए हो,तुम खाओ मैं अभी आई"रोहन गुस्से से कुछ बड़बड़ाते हुए भोजन करने लगा और रिमोट से म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया एफ.एम पर बज रहे गाने (माँ की ममता पिता का प्यार इसमें समाया है संसार ।।)ने उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया .. उसने रिमोट से म्यूजिक सिस्टम ऑफ किया और रिमोट को पूरी ताकत से जमीन पर दे मारा।टूटे हुए रिमोट के छोटे-छोटे टुकड़े फर्श पर इधर-उधर बिखरे हुए पड़े थे। पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया ।तभी अंदर वाले कमरे से आती हुई कराहने की आवाज़ ने रोहन का गुस्सा काफूर कर दिया। अरे ।ये तो माँ की आवाज़ है वह लगभग दौड़ते हुए अंदर की ओर भागा। "क्या हुआ माँ"रोहन ने हड़बड़ाते हुए पूछा तो माँ ने झूठी मुस्कुराहट लाते हुए कहा "कुछ नहीं बेटा मैं ठीक हूँ" लेकिन माँ की लाल आंखों और गालों पर आसुओं की लकीरों ने रोहन को सब बता दिया । वह पास आया और प्यार से बोला "माँ सच-सच बताओ क्या हुआ है?"माँ ने कहा,"वो ।बेटा तुम्हारे लिए खाना बनाते हुए अचानक कड़ाही से गर्म तेल सीने पर आ गया था तभी तुम आ गए तो मैनें सोचा तुम सुबह गुस्सा होकर घर से गये थे अभी अगर तुमको बता दिया तो मेरी चिंता में खाना भी नहीं खाओगे,सुबह भी बिना नाश्ता किये ही चले गए थे,पर खाना देने के बाद असहनीय जलन हो रही थी तो अंदर चली आई। "
उसने पल्लू हटा कर देखा तो सिहर उठा गले से लेकर सीने तक फफोले पड़ गए थे कुछ एक तो फूट भी गए थे जिनसे पानी रिस रहा था उसने उनपर ट्यूब लगाया।
रोहन की आंखों से आंसुओं की धार फूट पड़ी उसने अपना सिर माँ के कंधे पर रख दिया माँ ने भी अपने हाथ से उसके बालों को सहलाना शुरू कर दिया । माँ भूल चुकी थी अपनी असहनीय पीड़ा। रोहन ने ख़ुद को सम्हालते हुए माँ का हाथ पकड़ा और डायनिंग रूम में लेकर आया,माँ को बड़े आराम से बैठाया फिर म्यूजिक सिस्टम ऑन करके मोबाइल में गाना(तू कितनी अच्छी है,तू कितनी भोली है,प्यारी प्यारी है ।.ओ।माँ।) बजाया और फिर भोजन की थाली से एक निवाला माँ की ओर बढ़ा दिया।..