अब ना उसे कोई ख़ुशबू आ रही थी और न मुँह में पानी! बस आँखें नम होती जा रहीं थीं, बाबा ज अब ना उसे कोई ख़ुशबू आ रही थी और न मुँह में पानी! बस आँखें नम होती जा रहीं थीं, ...
उसी समय मेरा ध्यान खिड़की से बाहर गया जहाँ कई मज़दूर जिनके शरीर से हड्डियाँ झाँक रही थी सिर पर बोझा ... उसी समय मेरा ध्यान खिड़की से बाहर गया जहाँ कई मज़दूर जिनके शरीर से हड्डियाँ झाँक...
मैंने हौले से उनके सिर पर हाथ रखा तो उन्होंने आँखें खोली- "कैसी हो काकी ! मैंने हौले से उनके सिर पर हाथ रखा तो उन्होंने आँखें खोली- "कैसी हो काकी !
नहीं अब कमजोर नहीं हूँ मैं।तुम्हारी जरूरत नहीं है मुझे मैंने तो उसी दिन तुम्हारे साथ जु नहीं अब कमजोर नहीं हूँ मैं।तुम्हारी जरूरत नहीं है मुझे मैंने तो उसी दिन तुम्हारे...
"माँ कल से मुझे जल अर्पित करना है अपने पितरों को ,मैंने सोचा है कि इन पौधों को आँगन मे "माँ कल से मुझे जल अर्पित करना है अपने पितरों को ,मैंने सोचा है कि इन पौधों को आ...
पितरों को श्रद्धा अर्पित, श्राद्ध पक्ष में समर्पित। विधा का विधान रचित, आत्मा शांति हे पितरों को श्रद्धा अर्पित, श्राद्ध पक्ष में समर्पित। विधा का विधान रचित, आत्मा...