दोहे दिलवाले
दोहे दिलवाले
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चाँद-सितारों से हुई,चुपके-चुपके बात।
चंदन-चंदन हो गई,यादों वाली रात।।
यादों के मेले सजे,ख़्वाबों की दूकान।
मिले जहाँ बेमोल ही,खुशियों का सामान।।
कुछ अल्हड़ मासूम थे,कोमल-से अहसास।
रंग-बिरंगे झूमते,करते जैसे रास।।
तीखे-तीखे चल रहे,नयनों के भी तीर।
जख्म निगाहों से लगे,मीठी-मीठी पीर।।
ख़्वाब सुहाने सज गए,आ बैठे वो पास।
तन्हाई गुमसुम हुई,बैठी रही उदास।।
दिल दे कर होते यहाँ,सब कितने लाचार।
दीवाने जिसके हुए,उसके ही बीमार।।