जैसा दाम वैसा काम।
जैसा दाम वैसा काम।
1 min
1.1K
अब जैसा दाम वैसा काम,
अब नहीं है ये तो आसान।
हर कोई फ़ायदा उठाता है,
काम चाहे ज़रा न आता है।
हर काम में मेहनत के नाम,
अतिरिक्त पैसे वसूल करते।
कलयुग में नया नियम देखें,
काम पाँच लेबर दस रूपये।
पूरी प्लेट मानो सौ रूपये है,
आधी प्लेट साठ रूपये हुई।
अजीब सा हिसाब होता है,
समझ से परे सदैव होता है।
बढ़िया काम के बढ़िया देने,
दाम अब समझौता करते है।
जैसा दाम वैसा काम केवल,
सपनों हक़ीक़त में न संभव।