नारी
नारी
एक सुदृढ़ समाज बनाती है नारी
वर्तमान को खुबसूरत दिखाती है नारी
इसलिए अज्ञानता के अन्धकार से दूर कर
उन्हें अग्रसर कर शिक्षा का प्रकाश जगाना है
ज्ञान का दीप जलाकर हर नारी को साक्षर बनाना है
अब ना सहेगी अत्याचार नारी
समाज में अपनी अलग पहचान बनाएगी
हर अवसर में अपना सुअवसर खोज लेगी नारी
स्वयं ही ये सक्षम और शक्तिशाली समाज बनाएगी
अपनी राह खुद चुनेगी और आत्मनिर्भर वो कहलाएगी
अपने अस्तित्व को बचाने की खातिर
रणभूमि में आकर वह रण चण्डी बन जाएगी
आज की नारी स्वयं को दे सकती है एक नई पहचान
देखते ही देखते वो तो कामयाबी का आसमान छू जायेगी
एक दिन पंख लगाकर दूर कहीं आसमान में उड़ जायेगी नारी
ममता है तो कभी समर्पण है नारी
हर जिम्मेदारी बखूबी निभाती है नारी
अब ये नारी ना तो अबला और ना ही बेचारी
कुछ नया कर गुजरने की नई अभिलाषा है नारी
हर कठिन मंजिल का अब डटकर करेगी ये सामना
और एक दिन जीवन में बहुत ही आगे बढ़ जायेगी ये नारी।