इन साँसों का है कौन ठिकाना
इन साँसों का है कौन ठिकाना
चले जाएंगे एक दिन दुनिया छोड़कर, सब यहीं धरे रह जाने हैं,
दो पल की ज़िंदगी है जी लो जितने भी मिले जीने के बहाने हैं,
इन साँसों का कौन ठिकाना, कब टूट जाए इसका ताना-बाना,
हर लम्हा जोड़ लो मीठी यादें, निशान यही तो पीछे रह जाने हैं,
क्या मेरा क्या तेरा यहाँ, कुछ साथ न लेकर आया तू इस जहाँ,
प्यार नफ़रत धन दौलत सब यही रहेंगे बस कर्म साथ जाने हैं,
रूठा कोई तो मना लो मन पर पड़ी हर गांठ समय पे खोल दो,
कब किस मोड़ पे थम जाए साँसे, पीछे पछतावे ही रह जाने हैं,
मुस्कुराओ अपनों के साथ, दुख तकलीफ़ में थामो उनका हाथ,
यही सब एहसास तो हमारे अपनों की स्मृतियों में बस जाने हैं,
ये संसार मोहमाया, जिया वो जिसने व्यवहार से नाम कमाया,
ये व्यवहार ही आने वाली पीढ़ी के लिए पदचिन्ह बन जाने हैं।