आशियाना सपनों का
आशियाना सपनों का
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तिनका-तिनका जोड़कर
आशियाना बना सपनों का
चार दिनों की ये जिंदगानी
साथ मिला मेरे अपनों का
बचपन का इक ख़्वाब था
जो हुआ पूरा अरसो बाद
प्यार और भरोसा है इतना
रखेगी दुनिया बरसो याद
दुआ यही है मेरी रब से
रिश्तें ये चाहकर भी न टूटे
ले जाएं कहीं भी तक़दीर
मगर संग किसी का न छूटे
इकदूजे की ताकद है हमसब
हर हाल में आगे बढ़ते जाएंगे
हाथों की लकीरों में लिखा नहीं
मगर नसीब ख़ुद हम बनाएंगे
आशियाना सपनों का हमारा
ज़िंदगीभर का प्यारा एहसास
आशियाना तब ही जन्नत लगता
जब अपने होते हैं आसपास