मुझे न रोको मुझको आगे जाने दो
मुझे न रोको मुझको आगे जाने दो
मुझे न रोको मुझको आगे जाने दो,
मुझे गिरानी है कितनी ही दीवारें।
कीतने बंद कपाट खोलने बाकी हैं,
मचल रहे भीतर आने को उजियाले।
नव प्रभात नव विवस्वान के दर्शन को,
घोर तिमिर में दीपक बन जीना होगा।
सुधा दान जग को देगा जो अटल व्रती,
सब अघ गरल उसी को हँस पीना होगा।