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गोपाल राम डनसेना

Inspirational

3.8  

गोपाल राम डनसेना

Inspirational

आ कुछ पल चलते हैं साथ

आ कुछ पल चलते हैं साथ

1 min
323


आ कुछ पल चलते हैं साथ

कुछ दूर कदम से

कदम मिलाकर

अपनों ,गैरों का

भेद भुलाकर

ताकि सह सकें

प्रकृति का निर्मम झंझावात


आ कुछ पल बैठतें हैं साथ

कुछ गुरुर अहम और 

हर गम भुलाकर

ताकि कह सुन सकें

अंतर मन की बात


आ कुछ पल भूलते हैं जात

कुछ उसूल धरम से

आगे आएं अपने भरम से

कर सकें सार आत्मसात

ताकि न होऔर रक्तपात


आ कुछ पल भूलतें हैं औकात

देखें प्रकृति,और सोचें

उस प्रकृति नियंता को

कण कण में उसकी ममता को

ताकि संभाल सकें उसकी सौगात।


आ कुछ पल मिलाकर

चलते हैं हाथ

आ कुछ पल मिलाकर

चलते हैं हाथ।


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