यूं ही बस
यूं ही बस
यूं ही बस वह शब्दों की लड़ी को समेट कर I
अधर में मुस्कान गूढ़ रहस्यों को लपेट कर I
वह चल दी हमेशा, फिर हमेशा के लिए I
आज भी करामाती सोच, रहस्यों को संजोते हैं I
अनेकों अर्थ निकालकर आंखों संग दिल रोते हैं I
वह छल दी हमेशा, फिर हमेशा के लिए I
आंख में एक बूंद अश्क, उसमें तूफान समुंदर की I
ज्यों पिघलता शोला, टपक रहे अरमान अंतर की I
वह गरल दी हमेशा, फिर हमेशा के लिए I
सूना मन सुनी आंखें सूना सूना आकाश है I
खाक यादों संग नयन जल दिखाई दे लाज है।
फिर भी ये यादें यूं ही बस हमेशा के लिए I