आज अयोध्या आए राम
आज अयोध्या आए राम
जिस दिन राजतिलक होना था,बना उसी दिन वन का योग।
सत्ता का कोई लोभ नहीं था, कभी नहीं चाहा उपभोग।
इसीलिए तो राज्य को पाकर भी माता का वचन निभाया।
रीत निभाने को रघुकुल की, राम ने वन का राज्य अपनाया।
राजतिलक होना था जिस दिन, उसी दिवस वनवास था पाया।
वैरागी के मन में राज्य के प्रति, नहीं थी कोई मोह- माया।
लक्ष्मण ने भी साथ में जाकर, अपना भ्राता धर्म निभाया।
सीता जी ने साथ में जाकर, अपना पतिव्रत धर्म निभाया।
जिस सुत की खातिर कैकेयी ने, राम के लिये वनवास था चाहा।
उस सुत ने भी सत्ता की चाहत को, पैरों से ठुकराया।
चौदह वर्ष तक राम की चरण पादुका से ही राज्य चलाया।
महलों के सुख त्याग भरत ने, नंदीग्राम में किया निवास।
आज राम आ गये अयोध्या, पूरन हुई सभी की आस।
राम तुम्हारे अमर त्याग को भूल नहीं सकता इतिहास।
महलों का मधुमास छोड़कर, अपनाया वन का वनवास।
भरत तुम्हारे अमर त्याग को, भूल नहीं सकता इतिहास,
महलों का मधुमास छोड़कर, नंदीग्राम में किया निवास।
चौदह वर्ष वनवास काटकर आए अवधपुरी प्रभु श्री राम।
अंबर में बज उठे नगाड़े, जय श्रीराम जय जय राम।
सियाराम सिंहासन सोहें, बगल तीनों भाई हनुमान।
चौदह वर्ष के बाद अवध में सिया संग आए हैं राम।
अब वो केवल राम नहीं हैं, आज बन गये प्रभु श्रीराम।
झूम के सारे नाचो गाओ,जय श्री राम जय श्रीराम।
जय जय राम,जय जय राम
जय सीताराम,जय सीताराम