आओ कुछ अच्छा करते हैं
आओ कुछ अच्छा करते हैं
रोज़ की भागती जिंदगी के कुछ लम्हे चुराकर
मौहलत भरी जिंदगी की कुछ घड़िया निकालकर
अपनों के साथ - साथ गैरों का भी हाथ थामकर
आओ कुछ अच्छा करते हैं।
नन्हें बचपन को उनकी मासूमियत लौटकर
अँधेरी गलियों को ज्ञान के प्रकाश से रोशन कर
जिम्मेदरियो से दबे मासूम हाथों को राहत दिलाकर
आओ कुछ अच्छा करते हैं।
मशीनी युग के उलझे दिलों में मानवता जागकर
सोये हुए मानव की आत्मचेतन को याद दिलवाकर
असहाय, अशक्त, विवशों के दुःखो को बांटकर
आओ कुछ अच्छा करते हैं।
परोपकार परमोधर्म , धारणा वाले देश को जाग्रत कर
अस्थिर जगत के अस्थाई सुख वैभव से बाहर निकलकर
बेसहारों का सहारा बन, अपनी रूह को सुकून दिलाकर
आओ कुछ तो अच्छा करते हैं।