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Swaraangi Sane

Romance

1.8  

Swaraangi Sane

Romance

अनहद

अनहद

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206


तुम्हारे प्यार में 

वह मगरूर होती जा रही है

और ज़िद्दी भी,

तुम कह रहे हो

वह शुरू से ही ऐसी ही थी

जबकि वह   

ऐसी थी ही नहीं कभी। 


वह तो पड़ोस की चाची

और 

पड़ोस के पड़ोस में रहने वाले 

दादा तक की बात सुन लेती थी,

पर अब तो

किसी की कोई बात सुनने का मन नहीं करता

तुम्हारी भी नहीं।


वह चीख-चीख कर कहना चाहती है सबसे

उसकी बात सुनो

सुनो 

उसके दिल की बात सुनो।


वह सबको बता देना चाहती है 

कि वह तुमसे प्यार करती है,

और प्यार करना

बिल्कुल भी ऐसा नहीं है 

जैसे चोरी करना

या किसी का गला काटना।


तुम चाहते हो

वह वैसी ही रहे

जैसे पहले थी

एकदम सभ्य,

जबकि 

अब कोई झूठा बंधन नहीं चाहती वह

कोई आवरण नहीं चाहती।

          

वह हो जाना चाहती है

उतनी ही कोरी

वैसी ही

जैसी रही थी 

धरती पर आने से पहले,

तुम उसके मुँह पर 

हाथ रख देते हो

वह तुम्हारा हाथ काट लेती है।

तुम जंगली बिल्ली कहते हो उसे

वह पलटकर मेंढक कह चिढ़ाती है तुम्हें,

तुम उसे जंगली कहते हो

तुम सही कहते हो

उसे जंगली ही होना है,

बिल्कुल आदम

जब शिकार छिपकर किया जाता था

और प्यार खुलेआम।


तुम पूछते हो - शर्म-हया है या नहीं

वह बता देती है,

तुम्हें चूम लेती है

यह कहकर कि कहानियों में

चूमने से मेंढक

राजकुमार में बदल जाता था।


उसकी बातें

तुम्हारे गले नहीं उतरती,

तुम मदहोश हो जाना चाहते हो

पड़ जाते हो धुत्त,

पर

इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता

वह होती है सपनों में।


तुम नशे में!

वह तुम्हारे नशे में!!


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