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बचपन की पिटाई

बचपन की पिटाई

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बचपन में पीटना पिटवाना

रोजमर्रा के किस्से हुआ करते थे

बस अपने पसंदीदा खाने के

हिस्से हुआ करते थे !


ऊपर से जब आप सबसे छोटे

हो घर के

तो आपको पीटना तो मानो

जन्मसिद्ध अधिकार ही हो

जाता था आपके बड़ों के लिए,

आपको चाहे जो लगे ये तो

उनके लिए

उपहार ही हो जाता था !


तो बात इतनी सी है कि मस्करी

करने का भी समय होता है,

अगर खराब मूड हो बड़े का,

उड़ता हुआ झापड़ तैयार ही रहता है !


अक्सर बचपने में ये समझ ना

पाते थे हम

तबियत उलझी तो ना उलझे

बड़े भाइयों से

क्यूँकि उलझन भले ना सुलझे

हमारी पिटाई मुफ्त में हो जाती थी !

हम भी वीर बहादुर के वंशज साइज

में भले छोटे हो

लड़ने में ना रहते कम किसी से,

पर होता यही था पिट पिटा के बैठ

जाते थे अक्सर


यही बचपन के पसंदीदा कहानियाँ

बन गए

और आज सोचते तो हँसते रहते हैं !

बचपन में पीटना.......



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