बिन तेरे
बिन तेरे
बिन तेरे नाम काना नहीं लिया करने सांस,
बनके मीरा बस एक मिलने की तुमसे आस।
कही नदिया किनारे टिकी हुई मेरी आंखें,
दूर दूर तक देखे बस तेरे आनेकी राहे ।
बिना कहे काना इतनी दूर गए हो कहा चले,
आ जाओ ना अब तो मेरी सांसें भी न चले ।
देख कदंब के वृक्ष की छांव आए तेरी बंसी की याद,
अब बंसी सुना ने के बहाने आजा न मेरे पास।
राधा न बन पाई तो मीरा तो बना दे न मुजे श्याम,
समा ले अपनी मूर्ति में भुला के समाज की बात।