बंदर
बंदर
मैने गलती से उनको ,
कह दिया की तुम सुन्दर हो,
इतना सुनना था की तुनक कर ,
कह गई की तुम बंदर हो ।
घबरा कर मैने देखा आईना,
मेरी शक्ल में कोई बदलाव ना था,
और उनके चेहरे पर भी ,
अपनी गलती का कोई भाव ना था।
खुद को मैं समझता था सिकंदर,
एक झटके में मैं बना था बंदर ,
मैं अभी कुछ समझ ना पाया ,
कालर पकड़ उसने खींचा अंदर,।
मैं घबराया वो खूब मुस्कराई ,
हंस के बोली हरजाई,
तुम हमको समझ ना पाए ,
यही तो है हमारी अदाएं।