चादर से सिलवटें
चादर से सिलवटें
याद में तेरी दिल कितना होकर मजबूर पड़ा है
ज़िस्म है गद्दे पर लेटा और तकिया दूर पड़ा है।
दूर हो तुम तो चादर से सिलवटें भी जैसे रूठ गईं
कमरे का सामान भी लगता पीकर चूर पड़ा है।
याद में तेरी दिल कितना होकर मजबूर पड़ा है
ज़िस्म है गद्दे पर लेटा और तकिया दूर पड़ा है।
दूर हो तुम तो चादर से सिलवटें भी जैसे रूठ गईं
कमरे का सामान भी लगता पीकर चूर पड़ा है।