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Rominder Thethi

Tragedy

4.5  

Rominder Thethi

Tragedy

छुटकी

छुटकी

2 mins
446


जब भी गली से निकलता हूँ

इक वीरां कोने के पास आकर रुकता हूँ

इक ठण्डी आह भरता हूँ

फिर आगे बढ़ता हूँ

मेरी आँखों के आगे

जिन्दा हो जाती है वो छवि

जो अब इस दुनिया मे नहीं रही,

इसी कोने मे बैठा मिलता था

मुझे एक कुत्ता

नाम छुटकी जिसका था मैंने रखा

मुझे देख वो मेरी और दौड़ता

पूँछ हिलाता उछलता कूदता

मैं जान जाता वो क्या चाहता

मेरे इक इशारे से वो दुकान की और भागता

बिस्कुट याँ डबल रोटी लेकर ही मानता,

उसे मेरा ही इन्तजार रहता था

मेरी राह देखता वो तैयार रहता था.

फिर इक दिन घटना घटी दुखदायी

जो भुलाये नही जाती भुलाई

एक बैल ने उठाकर छुटकी को पटक दिया

निर्ममता से उसकी हड्डियों को चटक दिया

बेसुध घायल छुटकी चिल्ला रहा था

बेरहम दुनिया को कहाँ रहम आ रहा था

कोई कहता मेरे घर के सामने ना रखना उसे

कोई चाहता था कचरे मे पटकना उसे,

मेरे सीने मे पत्थर नही दिल था

उसे इस हाल मे छोड़ जाना मेरे लिए मुश्किल था

मैंने बाहोँ मे उसे उठाया

एक महफूज जगह उसे लिटाया

दूध लाकर उसे पिलाया

कुछ कहने लगे ऐसा होता ही रहता है

तू बेकार भावनाओं में बहता है

मुकद्दर मे होगा तो बच जायेगा

कौन इस पे पैसा लुटायेगा

हर कोई मुझे समझा रहा था

मुझे खींच घर लेजा रहा था

घर आकर मन विचलित परेशान था

मैं दुविधा में था नही निकलना आसान था

क्या जानवर की जिन्दगी इतनी सस्ती है

जो इस तरह गलियों मे बिलखती है

याँ फिर इन्सानों मे इन्सानियत नही दिखती है

यही बातें मैं रात भर सोचता रहा

क्यूँ उसे यूँ छोड़ आया खुद को कोसता रहा

फिर ठाना सुबह डाक्टर के पास ले जाऊँगा

कोई कुछ भी कहे हर संभव कदम उठाऊंगा

मगर खुदा को कुछ और मंजूर था

देर रात मेरी आँख लग गई मैं नींद मे चूर था

मौसम का मिजाज बिगड़ने लगा

बारिश शुरू हुई पानी बरसने लगा

बेबस छुटकी बचने मे असमर्थ था

मेरा उसे सुरक्षित रख पाना व्यर्थ था

सारी रात बारिश मे वो भीगता रहा

चिल्लाता रहा चीखता रहा

कोई हाथ मदद के लिए नही बढ़ा

वो मूर्छित हो गया पड़ा पड़ा

सुबह हुईं मैं जाग चुका था

जब तक मैं पहुंचा छुटकी प्राण त्याग चुका था

शायद यह वक्त उसके जाने का ना था

मगर अब फायदा क्या पछताने का था

काश मैं सुबह की उम्मीद मे ना होता

काश मैं नींद मे ना होता

काश मैं उसके लिए कुछ कर पाता

तो शायद इसी कोने मे वो मुझे नजर आता

यही सवाल आज भी वो गली का कोना करता है

रूमिन्दर तू जब भी गली से निकलता है!



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