"चुप"
"चुप"
यहां चुपचाप होना तू सीख ले।
ओर इस जिंदगी को जीत ले।।
बेवकूफों की इन सभाओं में।
खुद को तू चुप के करीब दे।।
चुप से बढ़ा नही कोई शस्त्र।
चुप को तू दोस्ती का गीत दे।।
चुप से तू क्रोध को पिट दे।
खुद को शांति की जमीन दे।।
इस दुनिया में कोई न अपना।
चुप से इस बात की तमीज ले।।
कर्म का ढिंढोरा पीटने से अच्छा।
चुपचाप अपने लक्ष्य को नींव दे।।
चुप से शत्रुओं की हार खरीद ले।
जीवन में खुद को जीत ही जीत दे।।
शांति से कर्म की खुद को रीत दे।
ओर फ़लक तक अपनी जीत दे।।
जैसा सूर्य रोशनी देता, चुपचाप।
तू कर्म करना सीख ले, चुपचाप।।
चुप साधन को तू इतनी प्रीत दे।
सफलता खुद, तुझको जमीन दे।।
चुप में होती है, इतनी ताकत।
अमावस को बना दे, वो पूनम ।।
चुप से रातों को शांत नींद ले।
जीवन को खुशियों के गीत दे।।