जब कोई किसी से जलन करता है। तो वही उसकी खुशियों का क़ातिल हो जाता है। जब कोई किसी से जलन करता है। तो वही उसकी खुशियों का क़ातिल हो जाता है।
चुप से इस बात की तमीज ले।। कर्म का ढिंढोरा पीटने से अच्छा। चुप से इस बात की तमीज ले।। कर्म का ढिंढोरा पीटने से अच्छा।
तुम्हारी धड़कन को सुनकर, हम इश्क का तराना गाते है। तुम्हारी धड़कन को सुनकर, हम इश्क का तराना गाते है।
कभी तो चेहरा दिखाया करो सनम, हम तुमसे मोहब्बत करते है। कभी तो चेहरा दिखाया करो सनम, हम तुमसे मोहब्बत करते है।
पुस्तकें सिमट गई, कौन बचा पाएगा जन आज, पुस्तकें सिमट गई, कौन बचा पाएगा जन आज,
लो उनको साथ जो रोके राह तुम्हारी तोड़े तुम्हारे बुलंद हौसलों को लो उनको साथ जो रोके राह तुम्हारी तोड़े तुम्हारे बुलंद हौसलों को
जिन्होंने मिटाया रात्रि का अंधेरा घना जिन्होंने मिटाया रात्रि का अंधेरा घना
खास कानून की मजबूत होती कोई बेंत। हमारे स्वार्थ की बलि न चढ़ता, बेचारा पेड़। खास कानून की मजबूत होती कोई बेंत। हमारे स्वार्थ की बलि न चढ़ता, बेचारा पेड़।
माननीय जिलाधीश नमित जी को, दे धन्यवाद उनकी व्यवस्थाएं, रखेंगे हम सब कार्मिक याद माननीय जिलाधीश नमित जी को, दे धन्यवाद उनकी व्यवस्थाएं, रखेंगे हम सब कार्मिक य...
प्रभु श्री राम के हनुमानजी आप बहुत ही चहेते है संकटमोचन महाबली हनुमानजी, आपको कहते हैं प्रभु श्री राम के हनुमानजी आप बहुत ही चहेते है संकटमोचन महाबली हनुमानजी, आपको...
बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा, तू बड़े लोग शीशे तोड़ते, अक्स के करा, झगड़े बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा, तू बड़े लोग शीशे तोड़ते, अक्स के करा, झगड़े
उसका लेते बालाजी, पूरा भार वो आग का दरिया करे, पार उसका लेते बालाजी, पूरा भार वो आग का दरिया करे, पार
मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है, मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है,
प्रीत में मन में उमंग जागती रहे, कभी निराशा और उदासी की नींद नहीं सोनी चाहिए। प्रीत में मन में उमंग जागती रहे, कभी निराशा और उदासी की नींद नहीं सोनी चाहिए।
प्यार की ज़ाम छलकाने के लिये सनम, मैं तुझे देखने के लिये बेकरार हो रहा हूं। प्यार की ज़ाम छलकाने के लिये सनम, मैं तुझे देखने के लिये बेकरार हो रहा हूं।
क्या था लोक लिहाज़, बंदिशों और बेड़ियों का दूजा नाम, क्या था लोक लिहाज़, बंदिशों और बेड़ियों का दूजा नाम,
काम-क्रोध भी मेरे हृदय जगते, कुछ अनजाने में हो जाते पाप।। काम-क्रोध भी मेरे हृदय जगते, कुछ अनजाने में हो जाते पाप।।
अब कृपा नहीं अधिकार चाहिये, मेरे वजूद पर ना उपकार चाहिये, अब कृपा नहीं अधिकार चाहिये, मेरे वजूद पर ना उपकार चाहिये,
सावन की घटा को फूलों से सजाओ, होंठों से तुम्हारे मधुर अल्फाज़ सुनाओ, सावन की घटा को फूलों से सजाओ, होंठों से तुम्हारे मधुर अल्फाज़ सुनाओ,
जैसे 32 दांतों मध्य जीभ बसी। जैसे 32 दांतों मध्य जीभ बसी।