दूसरी माँ -सासु माँ
दूसरी माँ -सासु माँ
वो माँ ही तो है जिसने अपना
बेटा मुझे दिया है
मेरे लिए तो वो मेरा जहान है,
मेरा संसार है
लेकिन उनका भी तो दिल का
टुकड़ा है
माना कि ये दुनिया का दस्तुर है
लेकिन इसे एक सास भी तो
निभाती है
वो भी तो दिन-पर- दिन अपना
हक खोती है
शायद वो भी अपने आप को
बदलती हैं
वो माँ ही तो जिसने अपना बेटा
मुझे दिया है ।
एक अच्छी बहु लाऊँगी
ढेर सारी बातें करूँगी
उसको बात बात पर टोकूंगी
ऐसा ख़्वाब एक सास ने भी तो
देखा है
वो माँ ही तो है जिसने अपना बेटा
मुझे दिया है।
थोड़ी सी उम्मीदों के साथ शायद
वो भी जीती है
अपना बेटा देकर वो भी कहाँ कुछ
पाती हैं
थोड़ी सी इज़्ज़त उसको अगर मिलती है
अपने भाग्य पर वो भी मुस्कराती है
वो माँ ही तो है जो मुझे अपने घर में
पनाह देती हैं
सबकुछ उसका होकर कहाँ वो कुछ
भी लेती हैं
नाती नतिन के साथ खेलने का सपना
शायद वो भी देखती है
कुछ भी कहने पर बुरा लगना तो लाजमी है
अपनी रूह का हिस्सा देकर ही वो तुम्हारा
घर बसाती है
हाँ वो मेरी दूसरी माँ है जिसने मुझे अपना
बनाया है