गीता है
गीता है
सिंही की गो दसे छीनता है शिशु कौन ?
मौन भी क्या रहती वह रहते प्राण
रे अजान
एक मेष माता ही
रहती है निर्निमेष
दुर्बल वह
छीनती संतान जब
जन्म पर अपने अभि शप्त
तप्त तो आंसू बहाती है
योग्यजन जीता है
पश्चिम की उक्ति नहीं
गीता है वह गीता है.