आज मालूम हुआ मुझे इस जहाँ में मोहब्बत से बड़ा गुनाह नहीं होता। आज मालूम हुआ मुझे इस जहाँ में मोहब्बत से बड़ा गुनाह नहीं होता।
सौंप दिया इस जीवन को हे प्रिय! तुम्हारे हाथों में। उत्थान,पतन अब जो भी है, सब कुछ तुम् सौंप दिया इस जीवन को हे प्रिय! तुम्हारे हाथों में। उत्थान,पतन अब जो भी है, सब...