हर महफ़िल की शान होते
हर महफ़िल की शान होते
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हम भी आज हर महफ़िल की शान होते
किसी के दिल से गर निकाले न गए होते
मुहब्बत में मिले दर्द ने हमें ज़िंदा रखा
वरना हम तो कब के मर गए होते
जिसे गुलाब कहते हो उसकी बिसात ही क्या है
गर काँटे न होते तो पंखुड़ियाँ कब के तोड़े गए होते
तन्हाइयों से गर अपना रिश्ता न होता
तो हम भी सुकून की नींद सो गए होते
तुम जिसे आवाज़ दे रहे हो "रौशन"
काश वो लौट कर आ गए होते