यही वक़्त था नाज़ हमे था कभी खुद पर कभी उस पर आज मगर इस सच्चाई के रूबरू हो ही गये हैं हम । यही वक़्त था नाज़ हमे था कभी खुद पर कभी उस पर आज मगर इस सच्चाई के रूबरू ह...
मुहब्बत में मिले दर्द ने हमें ज़िंदा रखा वरना हम तो कब के मर गए होते मुहब्बत में मिले दर्द ने हमें ज़िंदा रखा वरना हम तो कब के मर गए होते
घर की रौनक, हँसी और उजाला होती है, अन्धकार में भी खिलखिलाती किरण होती है। घर की रौनक, हँसी और उजाला होती है, अन्धकार में भी खिलखिलाती किरण होती है।
लोकतंत्र की हर बाधा का, इसमें छिपा निदान। लोकतंत्र की हर बाधा का, इसमें छिपा निदान।
मैं जन गण की प्यास, बुझा ल्याऊं खुशहाली। मैं जन गण की प्यास, बुझा ल्याऊं खुशहाली।
हम भारतीय हैं साहब एक से मिले एक तो ग्यारह होते हैं। हम भारतीय हैं साहब एक से मिले एक तो ग्यारह होते हैं।