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Kusum Lakhera

Classics Inspirational

4  

Kusum Lakhera

Classics Inspirational

जब तक हरियाली है

जब तक हरियाली है

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न होगा सृष्टि का अंत !

न धरा जल में समाएगी !

न प्रलय कोई गीत गाएगी !

क्योंकि जब तक हरियाली है !!


जब तक कोयल मतवाली है !

जब तक है वसुधा पर वसंत !

तब तक न होगा सृष्टि का अंत !

जब तक पेड़ पौधों की भरमार है !


जब तक फूलों की छाई बहार है !

जब तक फागुन गाता मल्हार है !

तब तक न होगा सृष्टि का अंत !

जब तक ऋतुओं का रंगीन मेला है !


जब तक जलवायु का अद्भुत खेला है !

माना कि संसार एक मिट्टी का ढेला है !

जीवन मुश्किलों से भरा झमेला है 

फिर भी न होगा सृष्टि का अंत !!


क्योंकि हरियाली के गीत जब तक गाए जाएँगे !

उदास गम भी खुशियों की सरगम से सुर मिलाएँगे !

निराश मन भी उम्मीद की चाह में हर्षित लहराएंगे !!


आशा की उड़ान जब तक रहेगी... मन में

हौंसले जब तक रहेंगे... जीवन में 

तब तक ..…....

सृष्टि का नहीं होगा अंत , जब तक मन के,

कोने में अविश्वास का स्वर होगा बुलंद !

तब तक न होगा सृष्टि का अंत । हरी भरी वसुंधरा !!


जीवन है, आशा है, उम्मीद का आशियाना है !

अंतर्मन में सहस्त्रों सपनों का खज़ाना है ..

हरियाली सिर्फ़ हरा रंग ही नहीं ..हरे भरे 

खुशहाल जीवन की छाया है ..सुख समृद्धि से,

पूरित स्वस्थ जीवन का प्रतिविम्ब है !


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