जीवनसाथी
जीवनसाथी
तुम प्रीत हो इस जीवन की, तुम ही हो इसकी उमंग,
संगिनी नहीं एक जीवन की ही, हो हर जीवन तेरे संग।
डोर हो तुम मेरे जीवन की, तुमसे बांधी अपनी पतंग,
उड़ती जाती जीवन-नभ में ऊंची, तुम ही हो इसकी तरंग।
तुम बरसात हो सूखे जीवन में, तुम ही इसकी अभिलाषा,
संचार किया तुमने जीवन, तुमने ही जगाई मुझमें आशा।
मैं तो था एक खोटा पत्थर, था तुमने ही मुझ को तराशा,
हो जीवन का वो हर पल मेरा, जिसमें प्यार तेरा हो जरा सा।
तुम खुशबू हो मेरे जीवन की, तुम ही हो इसको महकाती।
अमर हो जाए जीवन-गीत मेरा,जब तुम हो इसको गाती।
संगीत तुम्ही इस बगिया का,खिलती तुमसे ही हर पाती,
हर पल हो साथ मेरे तुम, तुम ही हो मेरी जीवनसाथी।।