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V. Aaradhyaa

Tragedy

4.5  

V. Aaradhyaa

Tragedy

जिंदगी का बहीखाता

जिंदगी का बहीखाता

1 min
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अपने अपने क्षितिज का माप देखना है ;

अपने कर्मों की आंच पर भविष्य सेंकना है !


कोई करता सदकर्म तो कोई धोखा है ;

ये जीवन कर्तव्यों का लेखा जोखा है !


इस जीवन की बस एक यही कहानी ;

बचपन बीता आयी मदमस्त जवानी !


बचपन तो बीता दिन ऐसे बिताए ;

कब कैसे करें क्या समझ ही न पाये !


मस्ती का आलम और ज़ालिम मौसम ;

गये बीत दिन होश में तब हम आये !


झोंके हवा के जहाँ भी हम जाते ;

माहौल ऐसा हम सब मिल बनाते !


वो प्यारे सलोने सुहाने से दिन थे ;

 काश हम फिर से बच्चे बन जाते !


आयी ज़वानी गृहस्थी का चक्कर ;

अपनी दुनिया में बने हम घनचक्कर!


शादी फिर बच्चे फिर आगे की प्लानिंग

 जब होश में आये तब शुरू हुई एजिंग !


बचपन जवानी के दिन यूँ बीत जाते ;

पर बुढ़ापे के दिन काफ़ी लम्बे हो जाते!


एक-एक कर सब अपने हाथ छुड़ाते ;

तन मन व सारे रिश्ते शिथिल हो जाते !


ज़िन्दगी का बहीखाता जैसे ही भरा ;

आई मौत चुपके से और इंसान मरा !


सांस तक इंसान का इंसान से नाता है ;

 पर मूर्ख इंसा यह कब समझ पाता है!


    



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