काश के हम क्रांतिकारी होते
काश के हम क्रांतिकारी होते
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काश कि कभी हम भी
उन क्रांतिकारियों में शामिल होते
जिन्होने गौरवपूर्ण बलिदान दिया।
कम से कम उस स्वाधीनता की
ख्वाहिशों का एहसास तो करते,
गुलामी क्या होती है जान तो पाते।
स्वतंत्रता का सही मोल
पहचान तो पाते
तब झण्डा हम आज फक्र से
लहरा तो पाते।
आज की पीढी़ को
मुल्क- ए -दास्तान सुना तो पाते
किस्से कहानियों का
सिलसिला तो है चल पड़ा,
पर ढूंढती हैं नज़रें,वो जोश
और जज़्बा हर धड़कन में।
जो हुआ करता था
कभी हमारे वीर शहीदों में।
पर उम्मीद का दामन
नहीं है छूटा अभी,
यदा कदा दिख जाती है
वो बुलंदी और वो हौसले भी।
हे ईश्वर रुकने न देना
देशभक्ति की चिंगारी कभी
कि सदा हम यही कहें
पंछी हैं हम उन्मुक्त गगन के।