कौन लिखे अब मुझको चिट्ठी !
कौन लिखे अब मुझको चिट्ठी !
कौन लिखे अब मुझको चिट्ठी ,
तुम अब , जब हो केवल मिट्टी ?
तुमने लिखा था पता हमारा ,
लिफाफे और अंतर्देशी पर |
बदकिस्मत था भाग्य हमारा ,
तरसे मन अब डगर डगर पर ||
कितनी निष्ठुर है यह सृष्टि ,
कौन लिखे अब मुझको चट्ठी !
कहाँ गए तुम कौन लोक में ,
मन आकुल है घोर शोक में |
क्या अब भी तुम अटे - डटे हो ,
सीमा पर तुम जुटे पड़े हो ?
क्यों ना किसी की जाती दृष्टि ,
कौन लिखे अब मुझको चिट्ठी !
पोस्टमैन के आ जाने पर ,
दस्तक होती दरवाज़े पर |
भाग के पूछूँ क्या है चिट्ठी ,
बेटे की कुछ मीठी खट्टी ?