"मैं तेरा रेप कर दूँगा"
"मैं तेरा रेप कर दूँगा"
"ज्यादा बोल मत अपने मर्यादा रेखा में रह,
घर का काम कर ऑफिस जा सीधे रास्ते आ सीधे रास्ते जा,
ऐसे हमसे ना तू तर्क कर, वरना मैं तेरा रेप कर दूँगा,"
"मुझे डर लगता है तेरी धमकियों से नहीं,
बस जिस "रेप" शब्द का तू प्रयोग करता हैं न उससे,
हाँ सहम सी जाती हूँ मैं, सुनसान सी सड़कों पर
डर भी जाती हूँ मैं, मगर तेरी इस धमकी से मैं कतई नहीं डरती"
"तू ऐसे नहीं मानेगी दो चार से उदाहरण तुझे देने पड़ेंगे,
अखबार उठाकर देख कोई जला दी गई, कोई मार दी गई,
तो कोई अधमरी नग्न कर रास्ते पर फेंक दी गई,
अब तो दायरे में रह वरना मैं तेरा रेप कर दूँगा"
"मुझे अब भी डर नहीं लगता तेरी धमकियों से,
मैंने देखा है, वो लड़ती हैं, वो जीती हैं, वो आवाज उठाती हैं,
अंतिम सांस तक आत्मसम्मान के लिए दहाड़ती हैं,
मगर किसी के आगे बिलखती नहीं,
फिर तू क्यों ऐसे गीदड़ भभकियाँ दोहराता है?"
"तू अब भी नहीं मान रही, मैं आखिरी चेतावनी देता हूँ,
ठहर जा वरना मैं तेरा रेप कर दूँगा,"
"अबे ओ मूर्ख सुन अब तू, इतनी रेप-रेप चिल्ला रहा है,
अगर तेरे माँ, बहन, पत्नी, भाभी में से
बलात्कार किसी के साथ हो गया,
तू उस वक़्त ज्वाला की आग में जलता रहेगा,
मगर क्या तू समझेगा उस दर्द को?
तू जानता भी है उस बच्ची के बिलखन को,
क्या उसके खून के स्राव को तू रोक सकेगा
क्या तू उसके ठहरे आंसू को बहता देख सकेगा,
क्या तू तिल-तिल मरता उसको देख सकेगा,
उसके तड़पन वाले दर्द को तू झेल सकेगा,
उसके हर घाव हर जख्म को तू महसूस कर सकेगा,
बोल क्या तू तब भी मेरा रेप करेगा??"