मौत का अनुभव
मौत का अनुभव
मौत के आगोश में मैं सोता रहा वह जगाते रहे!
क्या कमाल का मंजर था !
जिंदा था तो कोई ना मिला मरने पर सब मातम मनाते रहे!
मौत के आगोश में मैं सोता रहा वह जगाते रहे
इसी मंजर पर हम धीरे-धीरे मन ही मन मुस्कुराते रहें!
शैया थी कुछ ऐसी आग की मैं उसी में चलता रहा और वह मज़े से चलाते रहे!
ना जाने किसी को मेरे मरने का दुख भी था कि मन ही मन लोग मुस्कुराते रहे!
मौत के आगोश में मैं सोता रहा वह जगाते रहे!