मेरा पहला साक्षात्कार : व्यंग्य
मेरा पहला साक्षात्कार : व्यंग्य
सरकारी नौकरी के प्रथम
साक्षात्कार का डर
मुझे अंदर से भयभीत
और कमजोर कर रहा था।
सोच ही रहा था..कैसे प्रश्नों से सामना होगा?
अकस्मात..सामने से आता दिखा
एक गरीब वरिष्ठ बेरोजगार ।
जिसने दर्जनों सरकारी/गैर सरकारी
साक्षात्कारों को झेला है।
मेरे अनुरोध पर
अपने जीवन के अनुभवों से
मुझे प्रभावित करता है।
कहता है...सिर्फ नाम के होते हैं,... साक्षात्कार!
महज़ खानापूर्ति , ढकोसला मात्र।
पास करना है, तो पूछेंगे,
तुम्हारे पिता का नाम।
अन्यथा तो अधिकारी ...
अपने पुरखों के नाम पूछते हैं।
'मुसलमानों से गायत्री मंत्र और हिन्दु से, करवायेंगे,कलमों का उच्चारण।
वैसे परीक्षकों की भी मजबूरी होती हैं।
सीटें तो इंटरव्यू से पहले ही पूरी होती हैं।
कुछ सीट आस पास की ।
कुट सीटें कुछ बॉस की,
विभाग के मंत्री का भी कोटा होगा।
कई लोगों से पैसा भी ओटा होता होगा।
मैं अचम्भे से उनकी बात काटकर बोला...
तो फिर,अख़बारों में विज्ञापन, लिखित
परीक्षा ,इंटरव्यू ये सब क्या कोरा दिखावा है?
और फिर किस्मत, भी तो होती ही होगी?
एक लंबी सी सांस भरकर वो बोले।
विज्ञापन..? लिखित परीक्षा,
चिकित्सा परीक्षा, इण्टरव्यू ??
सब औपचारिकता मात्र, हैं।
वहाँ गरीब व निर्धन नहीं
खूब घनाढ्य पात्र हैं।
और ,किस्मत ??? उसका लाभ भी
उन्हीं को मिलेगा जिनका
चयन हो भी चुका होगा
आपके साक्षत्कार से पहले ही... बिल्कुल।
उल्लेखनीय है कि 8 जून 2004 को एक खगोलीय घटना थी। जिसमें शुक्र ग्रह 122 साल के बाद सूर्य का पारगमन कर रहा था, बल्कि दोपहर से पहले कर ही गया था मेरा साक्षत्कार दोपहर बाद में तीन बजे था।
मैं निर्धारित समय पर इंटरव्यू हेतु लंबी
सी पंक्ति में अनुशासन में खड़ा था।
उसको मन ही मन दौहरा रहा था,
जो अब तक पढ़ा था।
अंततः चपरासी ने मुझे नाम से पुकारा।
मैंने अपने हुलिए को ठीक करते हुए एक हाथ उठाकर जवाब दिया। जी सर...
खुद को संतुलित और संयमित करते हुऐ
कई देवी देवताओं से फ़रियाद किया..
सही में याद भी नहीं है, कितनों को याद किया । कक्ष में, अनुमति लेकर प्रवेश किया।
पूछने लगे, हाँ.. तो बरखुरदार ,
इंटरव्यू के लिए हैं तैयार?
मासूम से चेहरा बनाते हुए मैंने,
स्वीकृति में मुंडी हिलाई. अब
मैं तैयार था।
परीक्षक का मेरे ऊपर सीधा प्रहार था।
अधिकारी..शुरुआती दबाव बनाते बोले...
जुबान नहीं है क्या? जो मुंडी हिला रहा है?
चल बता..शुक्र ग्रह ,सूर्य के पारगमन में
कब आ रहा है?
प्रश्न एकदम सीधा और सपाट था।
मेरा जवाब भी रटा हुआ साफ था।
मैंने बिना समय गंवाए कहा, सर..
शुक्र ग्रह , सूर्य के पारगमन में ..
122 साल बाद आ रहा है।
परीक्षक, तल्ख़ आवाज़ में तुनक कर बोला..अच्छा? हमें समझा रहे हो।
GK बहुत ख़राब,समाचार नहीं सुनते ? गलत बता रहे हो।
वो शुक्र जो 122 साल बाद आना था
वो दोपहर को ही निकल भी गया।
अब , शुक्र केवल आठ साल में आने वाले हैं।
आप तो माँ-बाप के पैसे को हवा में उड़ाने वाले हैं।
इससे पूर्व कि मैं अपना मुँह खोलता,
अपने बचाव में कुछ बोलता।
अधिकारी ने अँग्रेज़ी में "Next" बोला।
पीछे मुड़कर मैंने काँपते हाथों और धराशायी अरमानों से दरवाजा खोला।
आज ये मेरा "पहला साक्षात्कार" था।
जिसमें मैं असफल और बेकार था।
हताश था मैं.. मगर अधिकारी था मौज में।
"उल्लास" भी आज भर्ती हो गया बेरोजगारों की फ़ौज में।