मिट्टी बना देगा मुझे
मिट्टी बना देगा मुझे
क्या पता था यूँ रुला देगा मुझे ।
अपना साया ही दगा देगा मुझे ।।
आदमी तेरी भला क्या हैसियत ;
जो भी देना है खुदा देगा मुझे ।
एक पौधा रोप देता हूँ यहीं ;
जब भी देखेगा दुआ देगा मुझे ।
बाँट लेता हूँ किसी के गम मगर ;
जानता हूँ कल भुला देगा मुझे ।
हक है उसको जिसने दी थी रौशनी ;
जब भी चाहेगा बुझा देगा मुझे ।
चार दिन का जिस्म है मेरा फ़क़त ;
फिर खुदा मिट्टी बना देगा मुझे ।
दिल में लाखों जख्म हैं, ओ बेवफा ;
ज़ख्म देकर क्या नया देगा मुझे ।