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Ira Johri

Abstract

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Ira Johri

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मन ढूँढ़ता है कुछ

मन ढूँढ़ता है कुछ

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सभी सुहागिनों को खुशी से झूमते देख आज अचानक ही मन में

कुछ उमड़ने घुमड़ने लगा और फिर लेखनी ने यह लिख दिया 


मन ढूँढता है कुछ 


कुछ प्रश्न अनुत्तरित से 

गूँजते हैं मन में बारम्बार 

जब होता है पति पत्नी का 

रिश्ता सात जन्मो का 

फिर क्यूँ प्रिय पत्नी के मरते ही

की जाती है बात दूजे ब्याह की 

क्या इस जनम में जितने ब्याह 

अगले जनम में उतनी ही पत्नियाँ 

मिलती हैं एक आदमी को 


और जब मरता है किसी का पति 

तो दूजे ब्याह की बात नहीं करता कोई 

और सालों बाद जब वह दूसरा जन्म लेती है 

तो क्या अगले जन्म में उसका पति 

उसके आने का इंतजार कर रहा होता है 

अगर नहीं तो क्यूँ उसके जीते जी 

इस जन्म की ख़ुशियाँ छीन ली जातीं है 


आज करवा चौथ के दिन हमारा मन 

नहीं बहता बहुत उमंगित हो कर 

सोचा करता अपनी उन भगिनियों के लिये 

जो कभी आज के दिन सुख के सागर में गोते लगाती थी 

पर आज बस यादों के सहारे जी रही है 

आज उनकी कल पता नहीं किसकी बारी होगी 

क्यों नहीं हम सब मिल कर कुछ इस तरह यह पर्व मनाये 

ख़ुशियाँ हमारे दामन से कभी भाग ना पाये 

सबको साथ ले कर यह उत्सव मनाये 



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