मन
मन
पत्ते टहनी
कुदाल फवड़ा से
सब बेकार।
दो टूक रोटी
गिलसिया पानी ते
किसान तृप्त।
मन मनाए
तन काटकर जो
जग हँसाए।
मनमोहक
भीनी भीनी माटी ये
बताए कौन।
झील नहर
नैन अटके बाबरे
व्याकुल मन।
हरियाली से
भया मन बाबरा
विचारे कौन।
बाहें फैलाए
खड़ी आँगन में माँ
हर्षित मन।