मर्द
मर्द
सुबह का समय था
सुनसान सड़क थी
तभी किसी के रोने
और चीखने की आवाज आई
देखा सड़क किनारे एक हैवान
बाल पकड़ कर घसीट रहा था उसको
वो रो रही थी
वो चिल्ला रही थी
पर मद में मस्त वो हैवान
बेपरवाह उसको घसीट रहा था
दे रहा था गंदी गालियाँ
और सबक सिखाने की धमकियाँ
डर नहीं था उसको लोगों का
क्योंकि मर्द तो वहाँ पर कोई था ही नहीं
हां रोका था तुमने अपना स्कूटर
और करने वाले थे डायल 100
फिर अचानक अंगुलियाँ ठिठक गई
उनके घर का मामला
पुलिस की झंझट
काम की देरी
और ढेर सारी कशमकश
के बीच
तुमने स्कूटर को ज़ोर का किक लगाया
उस शख्स ने देखा तुम्हें
और चारों ओर
फिर मुस्कुरा दिया
तुम पर
और खड़े दूसरे लोगों पर,
तुमने पलकों की कोर से
देखा उस औरत को
उसकी आंखों के सवाल
पढ़ते-पढ़ते तुम बढ़ गये आगे
एक जोड़ी वो आंखे
पूछ रही थीं
क्या मर्द उस आदमी की तरह ही होते हैं
जो उसको पीट रहा था
घसीट रहा था
या फिर वैसे लोग
जो खड़े होकर देखते हैं तमाशा?
वो आँखें झंझोड़ रही थी
और जानना चाह रही थी
कि उन लाशों के बीच
कोई ज़िंदा इंसान है या नहीं?
या वो जिसने दम तोड़ दिया वहां
वो इंसानियत थी?