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Sachin Kapoor

Tragedy

3  

Sachin Kapoor

Tragedy

मर्द

मर्द

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सुबह का समय था

सुनसान सड़क थी

तभी किसी के रोने

और चीखने की आवाज आई

देखा सड़क किनारे एक हैवान

बाल पकड़ कर घसीट रहा था उसको

वो रो रही थी

वो चिल्ला रही थी

पर मद में मस्त वो हैवान

बेपरवाह उसको घसीट रहा था

दे रहा था गंदी गालियाँ

और सबक सिखाने की धमकियाँ

डर नहीं था उसको लोगों का

क्योंकि मर्द तो वहाँ पर कोई था ही नहीं

हां रोका था तुमने अपना स्कूटर

और करने वाले थे डायल 100

फिर अचानक अंगुलियाँ ठिठक गई

उनके घर का मामला

पुलिस की झंझट

काम की देरी

और ढेर सारी कशमकश

के बीच

तुमने स्कूटर को ज़ोर का किक लगाया

उस शख्स ने देखा तुम्हें

और चारों ओर

फिर मुस्कुरा दिया

तुम पर

और खड़े दूसरे लोगों पर,

तुमने पलकों की कोर से

देखा उस औरत को

उसकी आंखों के सवाल

पढ़ते-पढ़ते तुम बढ़ गये आगे

एक जोड़ी वो आंखे

पूछ रही थीं

क्या मर्द उस आदमी की तरह ही होते हैं

जो उसको पीट रहा था

घसीट रहा था

या फिर वैसे लोग

जो खड़े होकर देखते हैं तमाशा?

वो आँखें झंझोड़ रही थी

और जानना चाह रही थी

कि उन लाशों के बीच

कोई ज़िंदा इंसान है या नहीं?

या वो जिसने दम तोड़ दिया वहां

वो इंसानियत थी?



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